झारखंड-बंगाल सीमा के करीब 60 किलोमीटर दूर चिरूडीह गांव के एक किसान ने अपने घर में देसी तरीके से मशरूम का प्लांट तैयार किया है. यह प्लांट पूरी तरह गांव की लकड़ी और सामग्रियों से बना है. किसान धान की खेती के बाद बचा हुआ पुवाल (धान की फसल का अवशेष) छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर पानी में भिगोता है और फिर उसमें मशरूम के बीज (सीट्स) डालकर मशरूम उगाता है. किसान का नाम युधिष्टिर महतो है.
किसान युधिष्ठिर महतो ने बताया कि पहले वे सब्जी की खेती करते थे, लेकिन उसमें मुनाफा कम था. मशरूम की खेती सीखने के बाद उन्होंने घर पर ही प्लांट बनाया और पहली बार इस साल पैड़ी मशरूम की खेती की. इस देसी मशरूम में कोई केमिकल नहीं होता, इसलिए इसकी बाजार में मांग बहुत अच्छी है. यह मशरूम 350 से 400 रुपये किलो तक बिकता है और 15 दिन में तैयार हो जाता है.
किसान युधिष्ठिर महतो पहले सब्जी की खेती किया करता थे. इन्होंने बताया कि उसमें ज्यादा मुनाफा नहीं था. बाद में मशरूम तैयार करने की ट्रेनिंग ली. मशरूम किस तरह से घर में रहकर तैयार किया जा सकता है, उसको समझा और तैयार किया. किसान ने कहा, हमने इस साल पहली बार मशरूम तैयार किया है. पूरे इलाके में हम ही पहले किसान हैं जिसने पैड़ी मशरूम की खेती की है. खुद से इसका वर्कशॉप बनाया और खुद से सब कुछ तैयार किया. हमारा मशरूम तैयार हो गया है, इसकी काफी मांग है.
किसान महतो ने कहा, हमारा मशरूम बाजार में 330 रुपये से 400 रुपये किलो बिकता है. 15 दिन में यह मशरूम तैयार हो जाता है. यह मशरूम काफी स्वादिष्ट भी होता है और सेहत के लिए भी काफी लाभदायक होता है. चिरूडीह गांव के बाकी किसान भी युधिष्ठिर महतो की तरह मशरू की खेती में दिलचस्पी लेने लगे हैं. ये किसान भी अब मशरूम की खेती करना चाहते हैं. किसानों का कहना है कि वे लोग भी सब्जी की खेती के साथ-साथ मशरूम प्लांट बनाएंगे. खुद से अपने घर में मशरूम की खेती करेंगे जिससे लाखों रुपया कमा सकते हैं.
युधिष्ठिर महतो ने मशरूम की खेती के बारे में बताया कि धान के पुवाल को 12 घंटे तक पानी में भीगा कर रखा जाता है. फिर उसे प्लास्टिक की चादर से ढक दिया जाता है ताकि उसका तापमान बरकरार रहे.
किसान संजीव महतो और गणेश चंद्र महतो ने भी इस विधि को अपनाने की इच्छा जताई है. उन्होंने बताया कि वे भी जल्द ही अपने गांव में मशरूम की खेती शुरू करेंगे क्योंकि यह फायदेमंद व्यवसाय है. उस पुवाल पर मशरूम का बीज डाला जाता है. तापमान 28 डिग्री और नमी की मात्रा 75 परसेंट हो तो तो मशरूम तैयार हो जाता है. इस मशरूम से हर दिन कम से कम 2 हजार रुपये की कमाई होती है.
यह देसी मशरूम झारखंड, बंगाल और ओडिशा सहित आसपास के इलाकों में काफी लोकप्रिय हो रही है, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हो रही है.
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