मकई और सुरगुजा की खेती के किसान अपनाएं यह उपाय, पढ़ें झारखंड के लिए जारी कृषि सलाह

मकई और सुरगुजा की खेती के किसान अपनाएं यह उपाय, पढ़ें झारखंड के लिए जारी कृषि सलाह

आने वाले दिनों में मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश की संभावना को देखते हुए किसान फसलों की बुवाई, दवा, खाद और कीटनाशक का छिड़काव साफ मौसम को देखते हुए ही करें ताकि उवसे बेहतर परिणाम मिल सकें.

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मकई और सुरगुजा की खेती के किसान अपनाएं यह उपाय, पढ़ें झारखंड के लिए जारी कृषि सलाहमक्के के खेत फोटोः किसान तक

झारखंड एक बार फिर से सूखे की चपेट में है इस बीच इससे निपटने के उपायों को लेकर लागातार किसानों के लिए कृषि सलाह भी जारी की जा रही है. मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से जारी सलाह के मुताबिक अगले कुछ दिनों के मौसम पूर्वानुमान को देखते हुए कहा गया है किसान अपने धान के खेतों की मेढ़ों को दुरुस्त करें ताकि जो बारिश हो उस पानी को खेत में ही रोका जा सके. इतना ही नहीं उपरी खेतों की तरफ से पानी की निकासी की व्यवस्था इस तरह से करें की वो पानी धान के खेतों में ही आकर जमा हो. इसके अलावा दलहनी और सब्जी की खेतों से जल निकासी की बेहतर व्यवस्था करें. 

आमतौर पर इस अवधि के दौरान फसलों में फूल और फलन की प्रक्रिया की शुरुआत होती है. इस दौरान किसान बेहतर उपज पाने के लिए दो किलोग्राम बोरोना प्रति हेक्टेयर का प्रयोग कर सकते हैं. आने वाले दिनों में मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक बारिश की संभावना को देखते हुए किसान फसलों की बुवाई, दवा, खाद और कीटनाशक का छिड़काव साफ मौसम को देखते हुए ही करें ताकि उवसे बेहतर परिणाम मिल सकें. खड़ी फसलों में मिट्टी की नमी बचाने के लिए पुआल का प्रयोग करें. इसके अलावा इस अवधि के दौरान रस चूसने वाले कीट और सफेद मक्खी का प्रकोप होता है इसलिए किसानों को  सलाह दी जाती है कि लागातार अपने खेतों की निगरानी करें. 

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तोरिया और सुरगुजा के किसान करें यह काम

जो किसान मूंग या उड़द की फसल काटने के बाद तोरिया (लोटनी) की खेती करना चाहते हैं वो अच्छी किस्म के बीज और उर्रवरक  का प्रबंध अभी  से ही कर लें. किसान इसके लिए विभाग की तरफ से अनुशंसित किस्म तपेश्वरी, पांचाली, पीटी-203 किस्म का चुनाव कर सकते हैं. प्रति एकड़ इसकी बुवाई के लिए दो से ढाई किलोग्राम बीज , 44 किलोग्राम यूरिया, 66 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट और 16 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का इस्तेमाल करें. वहीं जो किसान सुरगुजा की अच्छी फसल लेना चाहते हैं वो इसके लिए बेहद उर्रवरक प्रबंधन अपनाते हुए प्रति एकड़ 18 किलोग्राम यूरिया, 200 किलोग्राम एसएसपी और 30 किलोग्राम एमओपी का छिड़काव करें. 

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मकई और मूंगफली के लिए सलाह

मौसम पूर्वानुमान के मुताबिक आने वाले दिनों में होने वाले लगातार बारिश और अधिक आद्रता के कारण मक्का में फफूंदी रोग बढ़ सकते हैं. साथ ही अधिक नमी के दौरान अधिक तापमान के कारण     मक्का में पत्ति झुलसा रोग भी देखे जा सकते हैं. इन दोनों रोगों को नियंत्रित करने के लिए एजोक्सीस्ट्रोबिन और मैकोजेब को 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें मूंगफली की बात करें तो इस अवधि के दौरान के फसल में पिल्लू कीट देखे जा सकते हैं. इसके नवजात शिशु झुंड में पत्तियों के उपरी सतह पर दिखाई देंगे. इसके नियंत्रण के लिए प्रारंभिक अवस्था मं ही पत्तियों को तोड़कर मिट्टी में दबा दें और इडोक्साकार्ब 15.8 एसी 1 मिली प्रति लीटर या फ्लूबेंडामइट 600 मिली प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें.  


 

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