Sangamneri Beed Goat: उत्तर प्रदेश में अब खेती-किसानी के साथ पशुपालन करके लोग अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं पशुपालक अच्छी नस्ल की बकरी का पालन करके अच्छा मोटी कमाई कर सकते है. जो पशुपालक बकरी पालन शुरू करना चाहते है, वो इन बकरियों की विशेषताओं को जानकार पाल सकते है और मुनाफा ले सकते है. इसी कड़ी में आज हम संगमनेरी प्रजाति बकरी के बारे में बात करेंगे जिसका वजन 60 किलो तक है और इसके दूध और मांस दोनों की डिमांड बहुत अधिक है. रायबरेली के राजकीय पशु चिकित्सालय शिवगढ़ के प्रभारी पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत वर्मा ने किसान तक से बातचीत में बताया कि संगमनेरी प्रजाति की बकरी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में पाई जाती है. वहीं इस नस्ल में नर ब्रीड बहुत जल्दी बढ़ते है. यही वजह हैं कि इनका वजन तेजी से बढ़ता है.
उन्होंने बताया कि दूध औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, इस प्रजाति का मांस (Mutton) भी खाने में बेहद स्वादिष्ट और उच्च गुणवत्ता वाला होता है. इसी वजह से बाजारों में संगमनेरी नस्ल की बकरियों की डिमांड सबसे अधिक रहती है. इस खास नस्ल की बकरी की पहचान आसान है. डॉ. इंद्रजीत वर्मा ने बताया कि संगमनेरी नस्ल की बकरी मध्यम आकार की होती है. तथा बकरी का रंग सफेद होता है. वहीं बकरियों में भूरे, काले और अन्य रंग के धब्बे और बकरियों के बाल छोटे और सीधे तथा घने होते हैं. जबकि बकरी के कान मध्यम आकार के और झुके हुए होते हैं.
डॉ. इंद्रजीत वर्मा ने बताया कि संगमनेरी बकरियों (नर और मादा दोनों) के सींग पीछे की ओर मुड़े होते हैं. सबसे खास बात है कि संगमनेरी बकरियां 13 से 14 महीने में बच्चे देना शुरू कर देती हैं. दरअसल, पशुपालक संगमनेरी बकरियों को मांस और दूध के लिए पालते है. इसके नर बकरी का वजन 35 से 60 किलोग्राम और मादा बकरी का वजन 25 से 40 किलोग्राम होता है. वहीं संगमनेरी नस्ल की बकरियां 40% मामलों में जुड़वां बच्चों को जन्म देती हैं.
संगमनेरी बकरियों की कीमत के बारे में पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. इंद्रजीत वर्मा ने बताया कि इसकी कीमत नस्ल, उम्र, वजन और क्षेत्र जैसे कई कारकों पर निर्भर करती है. इस नस्ल के बकरों की मांग बाजारों में अधिक रहती है. संगमनेरी नर बकरों की कीमत 320 रुपये से 360 रुपये प्रति किलोग्राम (जीवित बकरे) है. और संगमनेरी बकरी की कीमत 290 से 330 रुपये प्रति किलोग्राम है. डॉ. वर्मा ने बताया कि संगमनेरी बकरी किसी भी वातावरण में रह सकती है. वहीं यह बीमार कम पड़ती हैं. दूध से ज्यादा इनके मीट की डिमांड मार्केट में ज्यादा होने से बहुत से पशुपालक इस नस्ल की बकरी को पालकर मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. बता दें कि भारत में बकरियों की 21 प्रजाति की नस्लें पाई जाती है.
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