उत्तर प्रदेश सरकार ने गाय के दूध के मामले में भी नबंर वन होने का प्लान बनाया है. अभी राजस्थान इस मामले में सबसे आगे है. यही कारण है कि सरकार देशी गायों के संरक्षण पर तेजी से काम कर रही है. सरकार ने गायों के नियमित टीकाकरण, नस्ल सुधार के जरिए उत्पादकता बढ़ाने का प्लान तैयार किया है. रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में दुधारू गायों की संख्या करीब 0.66 करोड़ है. इनसे कुल 5.29 मिलियन टन दूध प्राप्त होता है. प्राप्त दूध में विदेशी नस्ल की गायों का दूध 1.7 मिलियन टन और मिश्रित एवं देशी नस्ल के दूध की मात्रा 4.2 मिलियन टन है.
चूंकि देशी नस्ल की गाय का दूध विदेशी नस्ल की गायों से गुणवत्ता में बेहतर होता है. इनका विकास भारतीय जलवायु में हजारों वर्ष के अनुकूलन (कंडीशनिंग) के बाद हुआ है. लिहाजा भारतीय परिस्थितियों में इनको पालना आसान है. यही वजह है कि योगी सरकार का फोकस देशी गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन पर ही है.
आने वाले समय में गोरखपुर और भदोही के पशु चिकित्सक महाविद्यालय के बन जाने पर देशी गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन को और बढ़ावा मिलेगा. यहां होने वाले शोध का लाभ उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वांचल के दो दर्जन जिलों के पशुपालकों को मिलेगा. इसका लाभ देशी गोवंश की बढ़ी उत्पादकता के रूप में मिलेगा. ऐसे में 16% हिस्सेदारी के साथ दूध के उत्पादन में देश में प्रथम स्थान रखने वाला उत्तर प्रदेश गायों के दूध के उत्पादन के मामले में भी देश में पहले स्थान पर पहुंच जाएगा.
इसी मंशा से मुख्यमंत्री योगी ने पिछले दिनों गोरखपुर में बनने वाले पशु चिकित्सा महाविद्यालय का स्थलीय निरीक्षण कर जरूरी निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि गोरखपुर पशु चिकित्सा महाविद्यालय को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में विकसित किया जाय. महाविद्यालय में पशुओं के रखने, चारागाह के लिए हो पर्याप्त रिजर्व लैंड हो. और गौ सरोवर भी बनाएं.
गोरखपुर के ताल नदोर में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसी वर्ष 3 मार्च को किया था. 80 एकड़ में तीन चरणों मे बन रहे इस महाविद्यालय के निर्माण पर 350 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी. पहले चरण के निर्माण पर 277 करोड़ 31 लाख रुपये खर्च होंगे. 2026 तक पहले चरण का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा.
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