सेक्स सॉर्टेड सीमेन बीते दो दशक से भारत दूध उत्पादन में नंबर वन बना हुआ है. विश्व के कुल दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 25 फीसद है. और देश में अभी लगातार दूध उत्पादन बढ़ रहा है. डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो ये सब मुमकिन हआ है कृत्रिम गर्भाधान (एआई) से. क्योंकि दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए पशुओं की नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाया जा रहा है. और नस्ल सुधार कार्यक्रम में एआई को एक बड़ी क्रांति साबित हो रही है. क्योंकि जब गाय या भैंस जब हीट में आती है तो उसे किसी आम बुल से गाभिन कराने के बजाए ऐसे बुल के सीमन से कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है जिसके परिवार में ज्यादा दूध देने और समय से बच्चा देने का अच्छा रिकॉर्ड रहा हो.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो एआई से पशुओं को गाभिन कराने वालों की संख्या बढ़ रही है. एआई कराने के पशुपालकों को बहुत फायदे हैं. लेकिन ये भी एक बड़ी हकीकत है कि आज भी बहुत सारे पशुपालक एआई को लेकर भ्रम पाले हुए हैं. कुछ अफवाहों के चलते वो आज भी अपने पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान नहीं कराते हैं. एनिमल एक्सपर्ट से ऐसी ही कुछ अफवाहों और एआई पर बात करके हकीकत को जानने की कोशिश की गई है.
कृत्रिम गर्भाधान से गर्भाशय की बीमारियों और हानिकारक अप्रभावी एलील्स का खतरा बहुत कम हो जाता है. इसके अलावा एआई किफायती है. एक उच्च वंशावली सांड का इस्तेमाल उसकी मौत के बाद भी किया जा सकता है अगर उसके जमे हुए वीर्य की खुराक को संग्रहीत कर लिया जाए.
प्राकृतिक सेवा में गाय को प्रजनन के लिए सांड़ के पास ले जाया जाता है, जबकि कृत्रिम गर्भाधान में प्रशिक्षित एआई तकनीशियन द्वारा किसी मान्यता प्राप्त वीर्य केंद्र पर रखे गए सांड के हिमिकृत वीर्य डोज से गाय का गर्भाधान किया जाता है.
एआई बांझपन या रिपीट ब्रीडिंग का एक उपचार नहीं है. यह रोग मुक्त आनुवंशिक रूप से श्रेष्ठ वंशावली वाले सांड के वीर्य से पशु को गर्भित करने की एक कृत्रिम विधि है. यह प्राकृतिक सेवा के माध्यम से होने वाले रोगों की रोकथाम करने में मदद करता है. यदि कोई पशु बांझपन के कारण प्राकृतिक सेवा के माध्यम से गर्भित नहीं हो पा रहा है, तो वह कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से भी गर्भित नहीं हो पाएगा .
40 फीसद और उससे अधिक एआई की सफलता दर आदर्श मानी जाती है.
भैंसों में एआई गायों की तरह ही सफल है. इसमें केवल यह समस्या आती है कि वे अक्सर गर्मी में आने के लक्षण गर्मी के दौरान बहुत खुलकर नहीं दिखाती हैं.
और एक बड़ी बात ये कि प्राकृतिक रूप से गाभिन कराने के मुकाबले एआई सस्ती पड़ती है. लेकिन एआई का इस्तेमाल करने से पहले कुछ बातों का जान लेना बहुत जरूरी है. खासतौर से उन पशुपालकों के लिए जो पहली बार अपनी गाय या भैंस को एआई से गाभिन कराने जा रहे हैं. अब देशभर के सभी सरकारी पशु चिकित्सा केन्द्र और पशु मैत्री सूचना मिलने पर पशुओं का एआई गर्भाधान करा रहे हैं.
ये भी पढ़ें- Poultry Feed: पोल्ट्री फार्मर का बड़ा सवाल, विकसित भारत में मुर्गियों को फीड कैसे मिलेगा
ये भी पढ़ें- Poultry Board: पशुपालन मंत्री और PFI ने पोल्ट्री फार्मर के लिए की दो बड़ी घोषणाएं, पढ़ें डिटेल
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today