आईवीआरआई, बरेली में कुत्तों में आर्टिफिशियल हिप ट्रांसप्लांट (कूल्हा प्रत्यारोपण) किया जा रहा है.Artificial DOG Hips एक्सीडेंट होने पर कई बार कुत्तों का कूल्हा (हिप) टूट जाता है. अगर कुत्ता पुलिस और दूसरी किसी फोर्स का है तो ट्रेनिंग के दौरान और काम करने के दौरान अक्सर कुत्ता का हिप टूट जाता है. पुलिस के कुत्ते की बात तो अलग है, लेकिन, अगर गली के कुत्ते का हिप टूट जाए तो फिर उसकी जिंदगी कैसी हो जाती है ये अक्सर आप लोगों ने देखा होगा. पीडि़त कुत्ते को घिसट-घिसटकर चलना पड़ता है. घिसटने के चलते चलते पीछे का हिस्सा और ज्यादा खराब हो जाता है. तमाम तरह के इंफेक्शन हो जाते हैं. शरीर में घाव भी हो जाते हैं और कई बार उसमे कीड़े तक पड़ जाते हैं.
ऐसा नहीं है कि इसका इलाज देश में नहीं था, लेकिन पहले विदेशों से आर्टिफिशियल कूल्हा इम्पोर्ट करना पड़ता था. इस कूल्हे की कीमत पांच लाख रुपये तक होती थी. लेकिन अब लाखों नहीं नाम मात्र के खर्च पर कुत्तों का हिप बदला जा सकेगा. और ये सब मुमकिन होगा भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली की रिसर्च के बाद. फोर्स के तीन कुत्तों पर इसका कामयाब ट्रॉयल करने के बाद इसे आम कर दिया गया है. आम जनता भी इसका फायदा उठा सकती है.
आईवीआरआई से जुड़े जानकारों की मानें तो आर्टिफिशियल हिप तैयार करने और ट्रांसप्लांट करने की तकनीक को देश में ही तैयार किया गया है. अभी तक कुत्तों के लिए आर्टिफिशियल हिप भारत में उपलब्ध नहीं था. यदि किसी कुत्ते को आर्टिफिशियल हिप की जरूरत होती थी, तो उसे केवल विदेश से ही मंगवाया जाता था, जिसका खर्च पांच लाख रुपये तक आता था. लेकिन आईवीआरआई के साइंटिस्ट ने आर्टिफिशियल हिप तीन साल के छोटे से वक्त में बनाकर तैयार कर लिए. डॉ. रोहित ने बताया कि आर्टिफिशियल हिप ट्रांसप्लांट की पहली सर्जरी देहरादून के, दूसरी बरेली के तथा तीसरी संभल पुलिस के कुत्तों में सफल सर्जरी कर उसे नया जीवन दिया गया है. तैयार किया गया कूल्हा काफी सस्ता है और देश के कुत्ता मालिक को इसका फायदा दिया जाएगा.
डॉ. रोहित ने जानकारी देते हुए बताया कि करीब 3 साल के अध्ययन के बाद खासतौर पर भारतीय कुत्तों के अनुरूप सीमेंटेड पद्धति का कूल्हा ही नहीं, बल्कि उसमें इस्तेमाल होने वाले उपकरणों को भी तैयार किया गया. हमारी ने इस काम को चुनौती के रूप में लेते हुए शुरुआत में शहर के प्रसिद्ध ह्यूमन ऑर्थो सर्जन डॉ. आलोक सिंह की मदद से कई बारीकियों को सीखा. डॉ. आलोक सिंह और बरेली मेडिकेयर फर्म के योगेश सक्सेना और देवेश सक्सेना की तकनीकी सहायता से गुजरात की लाइफ ऑर्थो केयर कंपनी से कुत्तों के लिए आर्टिफिशियल कूल्हा और उसमें उपयोग होने वाले उपकरणों को तैयार कराया गया.
तकनीकी डिजाइन और साइज तय करने का काम डॉ. टी साई कुमार एमवीएससी शोध कार्य और डॉ. कमलेश कुमार टी एस ने पीएचडी शोध कार्य किया. आईवीआरआई के डॉयरेक्टर डॉ त्रिवेणी दत्त ने पूरी टीम के साथ सभी बाहरी लोगों को बधाई दी है.
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