Diwali Celebration: महिला किसान ने मधुमक्खियों के शहद से बनाई कलर कैंडल, दिवाली से पहले बढ़ी डिमांड, जानिए खूबियां

Diwali Celebration: महिला किसान ने मधुमक्खियों के शहद से बनाई कलर कैंडल, दिवाली से पहले बढ़ी डिमांड, जानिए खूबियां

मोमबत्ती उस मोम से बनाई जाती है जो मधुमक्खी के छत्ते से निकलता है. अभी तक मधुमक्खी पालन करने वाले किसान शहद निकालने के बाद छत्ते को फेंक देते हैं. लेकिन यह छत्ता उपयोगी होता है.

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Diwali Celebration: महिला किसान ने मधुमक्खियों के शहद से बनाई कलर कैंडल, दिवाली से पहले बढ़ी डिमांड, जानिए खूबियांमधुमक्खी के वैक्स से तैयार किए गए कई रंग बिरंगी कैंडिल (Photo-Kisan Tak)

Honey Candles: दिवाली (Diwali celebration) से पहले राजधानी लखनऊ में बाजार की रौनक बढ़ गई है. इसी कड़ी में बाराबंकी की शुभ्रा सिंह ने मधुमक्खियों के शहद से कई अलग-अलग प्रकार की कलर मोमबत्ती बनाई है. बाराबंकी जिले के चैनपुरवा गांव में मधुमक्खी पालन करने वाली शुभ्रा ने बताया कि मधुमक्खी का जो नेचुरल वैक्स होता है, उसी से कलर डालकर कैंडल बनाई है, इसकी खासियत है कि यह कैंडल 3-4 घंटे तक जलती है. वहीं पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त है. शुभ्रा ने आगे बताया कि पूरी तरह से कैंडल जलने के बाद इसके नीचे बने पदार्थ में नारियल के तेल को मिलकर सर्दी के मौसम में मॉइस्चराइजर क्रीम भी बना सकते है. इसको फेस और घुटने में लगाने से बहुत राहत मिलती है. 

उन्होंने बताया कि बहुत जल्द हम अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर जुड़ने जा रहे है, जिससे इसकी बिक्री लखनऊ से बाहर अन्य जिलों में की जा सके. शुभ्रा ने बताया कि आज चैनपुरवा गांव की कई महिलाएं संस्था के साथ जुड़कर इस व्यवस्या को आगे बढ़ाने की कार्य कर रही है. बीजवैक्स के जरिए रंग बिरंगी इकोफेंडली कैंडिल बनाने वाली शुभ्रा ने दावा करते हुए बताया कि इससे निकने वाली गैस हानिकारक नहीं होता. वहीं सेहत पर भी कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं कालिमा नहीं छोड़ती. उन्होंने बताया कि इसकी कीमत बहुत कम रखा गया है.

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फ्लोटिंग कैंडल 10 रुपये का एक पीस है, जबकि पैक में लेने पर 8 रुपये प्रति पीस पड़ेगा. वहीं 400 रुपये बड़े कैंडिल का एक पैक है. जिसमें 50 पीस एक डिब्बे में होते है. मधुमक्खी के शहद से अलग-अलग प्रोडक्ट बनाने वाली महिला किसान ने बताया कि दिवाली में बहुत सारे ऑर्डर मिल रहे है.

बाराबंकी जिले के चैनपुरवा गांव में मधुमक्खी पालन करने वाली शुभ्रा
बाराबंकी जिले के चैनपुरवा गांव में मधुमक्खी पालन करने वाली शुभ्रा

वहीं ग्राहकों में इस कैंडिल को लेकर डिमांड बढ़ गई है. रोजाना 5-6 हजार रुपये के बीच बिक्री हो जा रही है. मोमबत्ती उस मोम से बनाई जाती है जो मधुमक्खी के छत्ते से निकलता है. अभी तक मधुमक्खी पालन करने वाले किसान शहद निकालने के बाद छत्ते को फेंक देते हैं. लेकिन यह छत्ता उपयोगी होता है. क्योंकि इसमें प्राकृतिक मोम पाया जाता है. इसी मोम से हम लोग अपने घर में ही बैठकर मोमबत्ती तैयार कर रहे है.

ऐसे करें मोम से प्रोडक्ट तैयार

बाराबंकी की शुभ्रा सिंह ने बताया कि मधुमक्खी के छत्ते से जब शहद को अलग किया जाता है तो उस दौरान मोम की परत बच जाती है, जिसे अधिकांश मोनपालक फेक देते हैं या किसी अन्य प्रयोग में लाते हैं. जबकि यह मोम (वैक्स) का प्रयोग बाम से लेकर अन्य प्रोडक्ट तैयार कर रहे है. शहद को अलग करने के बाद बची मोम को गर्म पानी के बर्तन में डालना चाहिए और इसे खूब उबालना चाहिए, पानी के उबलने पर मोम उसमें घुल जाती है. इसके बाद एक बारिक कपड़े पर इस मिश्रण को छान देना चाहिए. इसके कुछ समय बाद जो छना हुआ पानी है, उसके ठंडे होने पर मोम की परत ऊपरी हिस्से में आ जाती है. जो मोम का शुद्ध रूप रहता है. इसके बाद इसे अलग-अलग सांचे में ढालकर आकार दिया जा सकता है.

 

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