मौजूदा समय में पशुपालन किसानों की पहली पसंद बनता जा रहा है. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन किसानों और पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा है. ऐसे में पशुपालकों के लिए ये जानना जरूरी है कि पशुओं के रखरखाव और बेहतर खानपान के लिए क्या करना चाहिए. दरअसल, पशुओं के लिए चारा सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में पशुपालकों के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि पशुओं को किस महीने में कौन सा चारा खिलाना चाहिए. साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि पशुओं को कब और कैसे आहार देना है. इन बातों का ध्यान रखकर ही पशुओं के स्वास्थ्य को बेहतर रखा जा सकता है. आइए 4 पॉइंट्स में जानें पूरी बात.
1. पशुओं को जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल के महीने में बरसीम, लूसर्न, जई मेथी, भूसा और साइलेज का चारा खिलाना बेहतर होता है.
2. मई और जून महीने में पशुओं को लूसर्न, लोबिया भूसा और साइलेज का चारा खिलाना चाहिए.
3. जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने में हरी जोंधरा, हरी ज्वार और लोबिया का चारा पशुओं को खिलाना फायदेमंद माना जाता है.
4. अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर महीने में ज्वार, ग्वार, नेपियर, सूडान, भूसा का चारा खिलाना उपयुक्त माना जाता है.
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1. पशुओं को अगर भूसा खिलाना हो तो उसे दाने के साथ पहले पानी में भिगो दें, इसे कुछ समय भिगो कर रखने के बाद ही पशुओं को खिलाएं.
2. जब आप पशुओं को सूखा चारा खिला रहे हैं, तो इससे पहले उसका कुट्टी बनाकर पशुओं को अच्छे से खिलाएं. इससे चारा का वेस्टेज कम होता है.
3. पशुओं को आप हरा चारा काटकर दें. हरे चारे को काटकर खिलाने से पशुओं में अफारा का खतरा नहीं रहता है.
4. अगर आप पशुओं को दाना देना चाहते हैं तो पहले दाने को पानी में भिगोकर रखें. फिर जब दाना फूल जाए तो ही पशुओं को खिलाना चाहिए.
पशुओं को सही समय पर आहार देना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में पशुओं को आपको दिन में 2 बार आहार देना चाहिए. आहार के सही पाचन के लिए ये ध्यान रखें कि इसके बीज का अंतराल 8 से 10 घंटे का हो. वहीं. आहार में पशुओं को केवल दाना नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे पशुओं की पाचन शक्ति खराब हो सकती है और दूध उत्पादन में भी गिरावट आ सकती है. इसके अलावा दुधारू पशुओं को दूध निकालने के बाद ही चारा और दाना देना चाहिए. साथ ही पशुओं को प्रतिदिन चारा के अलावा पोषक तत्व, खनिज मिश्रण और नमक देना चाहिए. इससे पशुओं के स्वास्थ्य और दूध का उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.
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