बकरी के गर्भवती होते ही उसकी खुराक की जरूरत बढ़ जाती है. जब तक बकरी बच्चा नहीं दे देती तो उसे अलग तरह से रोजाना की खुराक दी जाएगी. क्योंकि बकरी के पेट में पल रहे बच्चे को भी एनर्जी की जरूरत होती है. इसके साथ जैसे ही बकरी बच्चा दे देती है तो फिर वो दूध देना शुरू कर देती है. दोनों ही हालात में बकरी उत्पादन कर रही होती है तो ऐसे में उसे खास खुराक की जरूरत होती है. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के गोट साइंटिस्ट का भी कहना है कि बकरी से हेल्दी बच्चा और भरपूर दूध लेने के लिए जरूरी है कि उसे खाने को भी अच्छा दिया जाए.
और बकरी का एक बड़ा मुनाफा उसका बच्चा भी होता है तो इसलिए बच्चे का हेल्दी होना भी जरूरी है. और ये सब निर्भर करता है चारे पर. क्योंकि बच्चा और दूध देने वाली बकरियों को दूसरी बकरियों के मुकाबले ज्यादा चारे और दाने की जरूरत होती है. अगर बकरी के गर्भवती होने पर और दूध देने के वक्त दाना-चारा खिलाने में जरा भी कंजूसी बरती गई तो इसका असर बच्चे और बकरी दोनों पर ही पड़ेगा.
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि जब बकरी को गर्भवती कराना हो तो उसी के साथ बकरी की खुराक बढ़ा दें. हरा चारा और दाने की मात्रा बढ़ा दें. गर्भवती कराने से दो हफ्ते पहले ही बकरी की सामान्य खुराक 3 किलो दाना प्रतिमाह में 100 से 200 ग्राम दाना और बढ़ा दें. इतना ही नहीं जब बकरी बच्चा देने वाली हो तो उससे एक-दो हफ्ते पहले सामान्य खुराक में दाने की मात्रा 300 से 400 ग्राम तक बढ़ा दें. बकरी को उत्तम किस्म का हरा चारा भी खिलाएं.
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि दूध देने वाली बकरी को भी ज्यादा खुराक की जरूरत होती है. एक लीटर तक दूध देने वाली बकरी को हर रोज 300 ग्राम तक दाना खिलाना चाहिए. दाना दिन में कम से कम दो बार में दें. साथ ही दिनभर में हरा और सूखा चारा मिलाकर करीब 4 किलो वजन तक खाने को दें. सामान्य मौसम में 20 किलो वजन की बकरी को 700 एमएल तक पानी पिलाना चाहिए. वहीं गर्मी के मौसम में यह मात्रा डेढ़ गुनी कर देनी चाहिए.
किसी गोट फार्म में 100 बकरी पाली जाएं या फिर घर की खाली जगह पर 5 बकरियां, उन्हें चरने के लिए खुली जगह की जरूरत होती है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो गर्भवती और दूध देने वाली बकरियों की अच्छी सेहत का राज भी यही होता है. यह खुली जगह खेत और जंगल भी हो सकता है. बकरियों को तीन तरह से चराया जाता है. पहला चराकर, दूसरा खूंटे पर बांधकर और तीसरा चराने के साथ खूंटे पर बांधकर.
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