
Green Fodder Silage दुधारू पशु छोटा हो या बड़ा, सभी को हरे चारे की ज्यादा जरूरत होती है. आज कई ऐसे चारे और घास हैं जो पशुओं के दूध में प्रोटीन और फैट बढ़ाने में मददगार साबित हो रहे हैं. लेकिन फोडर एक्सपर्ट की मानें तो साल के दो मौसम ऐसे होते हैं जब पशुओं को ताजा हरा चारा नहीं खिलाया जा सकता है. बरसात की तरह से सर्दी भी उसी में से एक है. सर्दियों के दौरान भी हरे चारे और घास में नमी की मात्रा बढ़ जाती है. इसी के चलते पशुओं को ताजा हरा चारा नहीं खिलाया जाता है. दूसरा ये भी है कि जितना ज्यादा हरा चारा इन दिनों में होता है उसे खिलाना भी मुमकिन नहीं है.
हरे चारे संग सूखा चारा और मिनरल्स-दाना भी खिलाया जाता है. और इस तरह से बहुत सारा हरा चारा इस्तेमाल होने से बच जाता है. इसी को देखते हुए एक्सपर्ट साइलेज और हे बनाने की सलाह देते हैं. फोडर एक्सपर्ट की मानें तो इस मौसम में दलहनी हरा चारा खूब मिलता है. रसदार दलहनी हरा चारा मिनरल मिक्चर की कमी भी पूरा करता है. सभी पशुओं को हरा चारा देने की मात्रा भी तय है. ज्यादा खाने को दिया तो पशुओं को दस्त लगने के साथ ही डायरिया हो सकता है और अफरा जैसी परेशानी भी उठानी पड़ सकती है.
फोडर एक्सपर्ट डॉ. सुनील वर्मा का कहना है कि हरा चारा स्टोर करने और उसका साइलेज बनाने के लिए उसके पत्तों को पहले सुखा लें. लेकिन ख्याल रहे कि जिस चारे को हम साइलेज बनाने जा रहे हैं उसे पकने से कुछ दिन पहले ही काट लें. इसके बाद उसे धूप में सुखाने रख दें. लेकिन चारे को सुखाने के लिए कभी भी उसे जमीन पर डालकर न सुखाएं. चारा सुखाने के लिए जमीन से कुछ ऊंचाई पर जाली वगैरह रखकर उसके ऊपर चारे को डाल दें.
इसे लटका कर भी सुखाया जा सकता है. जमीन पर डालने से चारे पर मिट्टी लगने का खतरा रहेगा जो फंगस आदि की वजह बन सकती है. जब चारे में 15 से 18 फीसद के आसपास नमी रह जाए तो उसे सूखी जगह पर रख दें. इस बात का ख्याल रहे कि अगर चारे में नमी ज्यादा रह गई तो उसमे फंगस आदि लग जाएंगे और चारा खराब हो जाएगा. इतना ही नहीं इस खराब चारे को गलती से भी पशु ने खा लिया तो वो बीमार हो जाएगा. बकरी के लिहाज से साइलेज का एक बैग पांच से छह किलो को बनाएं और उसे खोलने के बाद आठ से 10 दिन में खत्म कर लें.
डॉ. सुनील का कहना है कि घर पर ही चारे से साइलेज और हे भी बड़ी ही आसानी से बनाया जा सकता है. जैसे पतले तने वाले चारे की फसल को पकने से पहले ही काट लें. उसके बाद तले के छोटे-छोटे टुकड़े कर लें. उन्हें तब तक सुखाएं जब तक उनमे 15 से 18 फीसद तक नमी ना रह जाए. हे के लिए हमेशा पतले तने वाली फसल का चुनाव करें. क्योंकि पतले तने वाली फसल जल्दी सूखेगी. कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है. यानि चारे का तना टूटने लगे इसके बाद इन्हेंय अच्छी तरह से पैक करके इस तरह से रख दें कि चारे को बाहर की हवा न लगे.
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