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FMD Disease: एनीमल एक्सपर्ट ने बताए एफएमडी की पहचान और रोकथाम के उपाय, पढ़ें डिटेल 

FMD Disease: एनीमल एक्सपर्ट ने बताए एफएमडी की पहचान और रोकथाम के उपाय, पढ़ें डिटेल 

भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है, मीट उत्पादन में भी बहुत अच्छी संभावनाएं हैं, बावजूद इसके डेयरी एक्सपोर्ट में हम बहुत पिछड़े हुए हैं. मीट एक्स‍पोर्ट की बात करें तो आज भी विश्व के कई बड़े देश हमारे यहां का बफैलो मीट नहीं खरीदते हैं. क्योंकि अभी हमारा देश एफएमडी फ्री घोषित नहीं हुआ है.  

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गर्भवती गाय-भैंस को क्या खिलाएं गर्भवती गाय-भैंस को क्या खिलाएं

पंजाब के गाय-भैंस, भेड़-बकरी में खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बीमारी के बढ़ते केस ने परेशानी को और बढ़ा दिया है. हालांकि इस बीमारी को जड़ से खत्मप करने के लिए देशभर में एफएमडी टीकाकरण अभियान बड़े ही जोर-शोर से चल रहा है. इस अभियान के तहत हर साल करीब 50 करोड़ पशुओं को एफएमडी की वैक्सीन लगाई जा रही है. कई राज्यों में तो चौथे चरण का टीकाकरण चल रहा है. हाल ही में पेश हुए बजट में भी इसके बारे में चर्चा करते हुए एक बड़ी रकम जारी की गई है. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी की वजह से देश का डेयरी प्रोडक्ट और मीट एक्सपोर्ट आगे नहीं बढ़ पा रहा है. 

हालांकि एनीमल एक्सपर्ट के मुताबिक एफएमडी को लेकर समय-समय पर एडवाइजरी भी जारी होती रहती है. बावजूद इसके बहुत सारे पशुपालन आज भी कई तरह की भ्रांतियों के चलते अपने पशुओं का टीकाकरण नहीं कराते हैं. जबकि अभी इस बीमारी का एकमात्र इलाज टीकाकरण ही है. 

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जानलेवा एफएमडी बीमारी के ये हैं लक्षण 

एनीमल एक्सपर्ट निर्वेश शर्मा ने किसान तक को बताया कि एफएमडी पीड़ित किसी भी पशु जैसे गाय-भैंस, भेड़-बकरी और सूअरों के लक्षण ये हैं कि उन्हें  104 से 106 एफ तक तेज बुखार आएगा. भूख कम हो जाएगी. पशु सुस्त रहने लगता है. मुंह से बहुत ज्यादा लार टपकना शुरू हो जाती है. मुंह में फफोले हो जाते हैं. खासतौर पर जीभ और मसूड़ों पर फफोले बहुत ज्यादा हो जाते हैं. पशु के पैर में खुर के बीच घाव हो जाते हैं, जो अल्सर होता है. गाभिन पशु का गर्भपात हो जाता है. थन में सूजन और पशु में बांझपन की बीमारी आ जाती है. 

पांच कारणो से जल्दी फैलता है एफएमडी      

निर्वेश शर्मा ने बताया कि दूषित चारा और दूषित पानी पीने से पशुओं में एफएमडी रोग जल्दी फैलता है. बरसात के दौरान खासतौर पर पशु खुले में चरने के दौरान दूषित चारा-पानी खा और पी लेते हैं. खुले में पड़ी कुछ सड़ी-गली चीजें खाने से भी होता है. फार्म पर नए आने वाले पशु से भी ये बीमारी लग जाती है. पहले से ही एफएमडी से पीड़ित पशु के साथ रहने से भी हो जाती है. 

इस तरह हो सकती है एफएमडी की रोकथाम 

निर्वेश शर्मा का कहना है कि पशुओं में एफएमडी की रोकथाम करना बहुत आसान है. इसमे कोई पैसा भी खर्च नहीं होता है. सबसे पहले तो अपने पशु का रजिस्ट्रेशन कराएं. उसके कान में ईयर टैग डलवाएं. किसी भी पशु स्वास्य्ले केन्द्र पर साल में दो बार फ्री लगने वाले एफएमडी के टीके लगवाएं. टीका लगवाने के बाद इस बात का खास ख्याल रखें कि टीका लगने पर 10 से 15 दिन में पशु में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. इसलिए तब तक पशु का खास ख्याल रखें. बरसात के दौरान पशु के बैठने और खड़े होने की जगह को साफ और सूखा रखें. 

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एफएमडी होने पर अपनाएं ये उपाय 

एनीमल एक्सपर्ट बताते हैं कि एफएमडी का कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन कुछ जरूरी उपाय जरूर अपनाए जा सकते हैं. जैसे पीड़ित पशु को बाकी सभी पशुओं से अलग रखें. मुंह के घावों को पोटेशियम परमैंगनेट सॉल्यूशन से धोएं. इसके अलावा बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट बनाकर उससे पशु के मुंह की सफाई करें. खुर के घावों को पोटेशियम सॉल्यूगशन या बेकिंग सोडा से धोएं. कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं.