Goat in Heat Stress: गर्मियों में इस दवाई से दूर करें बकरियों में हीट स्ट्रेस की परेशानी, इन लक्षणों से करें पहचान

Goat in Heat Stress: गर्मियों में इस दवाई से दूर करें बकरियों में हीट स्ट्रेस की परेशानी, इन लक्षणों से करें पहचान

बकरी हो या गाय-भैंस सभी के स्ट्रेस में आने की पहचान ये है कि वो खाना पीना कम कर देती हैं. पशुओं के रोजाना के व्यवहार में अंतर दिखाई देने लगता है. दूध हो या ग्रोथ उस पर भी असर दिखाई देने लगता है. लगातार स्ट्रेस में रहने के चलते कभी-कभी पशु बीमार भी हो जाता है.  

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Goat in Heat Stress: गर्मियों में इस दवाई से दूर करें बकरियों में हीट स्ट्रेस की परेशानी, इन लक्षणों से करें पहचान बकरियों की इन नस्लों का पालन करें

गर्मियों में पशुपालक के लिए सबसे बड़ी परेशानी हीट वेव और हीट स्ट्रेस की होती है. इन दोनों ही वजह के चलते एक पशुपालक को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार तो इसके चलते पशु की मौत भी हो जाती है. दूध का उत्पादन कम जाने से होने वाला नुकसान तो एक तरफ है. लेकिन केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा ने खासतौर पर बकरे-बकरियों के लिए एक खास दवा तैयार की है. ये दवाई जड़ी-बूटियों से तैयार की गई है. दवा तैयार करने वाली टीम का कहना है कि इस दवाई को खिलाने से बकरियों में हीट स्ट्रेस की परेशानी खत्म हो जाएगी. 

इस दवाई के चलते पशु के बीमार पड़ने पर बढ़ने वाले खर्च पर भी रोक लगेगी. इस दवाई को एंटी स्ट्रैस नाम दिया गया है. यह दवाई पूरी तरह से हर्बल प्लांट्स से बनी हुई है. गोट एक्सपर्ट का कहना है कि स्ट्रेस का असर सिर्फ दूध उत्पादन ही नहीं गर्भवती बकरी के बच्चे और ग्रोथ करते बकरे पर भी पड़ता है. 

इन लक्षणों से पता चलता है कि बकरी हीट स्ट्रेस में है 

सीआईआरजी के डायरेक्टर मनीष कुमार चेटली ने बताया कि गर्भधारण और दूध देने के वक्त आमतौर पर बकरी स्ट्रेस में होती है. कई बार मौसम का बड़ा परिवर्तन भी बकरियों पर असर डालता है और वो स्ट्रेस में आ जाती हैं. और होता यह है कि इस सब का पूरा असर बकरे-बकरी से जुड़े उत्पादन पर पड़ता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बकरियां ही स्ट्रेस में आती हैं, बकरे भी इसका शिकार होते हैं. स्ट्रेस का पता ऐसे चलता है कि बकरे और बकरियां चारा ठीक से नहीं खाते हैं. बकरियों का दूध देना कम हो जाता है. वजन सामान्य तरीके से नहीं बढ़ता है. सेहत गिरने लगती है. बकरे और बकरियां दोनों ही सामान्य व्यवहार नहीं करते हैं.  

 सीआईआरजी में लगे हर्बल प्लांट्स से बना है एंटी स्ट्रेसर 

मनीष कुमार चेटली ने किसान तक को बताया कि पशु पालन के मामले में सबसे बड़ी परेशानी उत्पादन की आती है. फिर वो चाहें दूध का हो या मीट का. बकरी के मामले में यह दोनों ही बातें फिट बैठती हैं. बकरियों में स्ट्रेस की इसी परेशानी को दूर करने के लिए हमारे संस्थान में डॉ. अशोक कुमार, डॉ. यूबी चौधरी और डॉ. पीके राउत ने इस एंटी स्ट्रेसर को बनाने का काम किया है. बीते कई साल से इस पर काम चल रहा था. एंटी स्ट्रैसर का इंडियन पेटेंट भी कराया गया है. इससे पहले भी हमारा संस्थान बीते तीन साल में छह पेटेंट हासिल कर चुका है.

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