देश में फिश प्रोसेसिंग यूनिट को बढ़ावा देने के लिए हर स्तर पर कोशिश की जा रही है. मछली कारोबार और उससे बने प्रोडक्ट को ग्राहक मिलें इसके लिए मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने बड़ी योजनाओं पर चर्चा शुरू कर दी है. इसमे मंत्रालय के साथ मछली पालक से लेकर फिश सेक्टर और इससे जुड़े बड़े कारोबारी भी है, जिसमें रेडी टू ईट-रेडी टू कुक कांसेप्ट पर बात की जा रही है. फ्रोजन मछली की डिमांड बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम भी चल रहा है और अन्य योजना पर चर्चा हो रही है. इससे घरेलू मछली बाजार को रफ्तार मिलेगी.
मंत्रालय का मकसद है कि मछली पकड़ने के काम पर अपना जीवन गुजारने वाले समुदाय के लिए यह जरूरी है कि घरेलू बाजार में मछली की डिमांड पैदा हो. ताजा मछली के साथ ही फ्रोजन मछली और उससे बने प्रोडक्ट की डिमांड आए. केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का फायदा लेने वालों की इनकम भी दोगुनी हो.
ये भी पढ़ें- Poultry: भारत को मिला 50 मिलियन अंडों का आर्डर, मलेशिया को एक्सपोर्ट करने से खुला रास्ता
मछली कारोबार से जुड़े मनोज शर्मा ने किसान तक को बताया कि मछली एक्सपोर्ट में क्वालिटी से जुड़े कड़े नियमों का पालन किया जाता है. अगर खासतौर पर फ्रोजन मछली की तरफ लोगों का विश्वास जीतना है तो एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले नियम घरेलू मछली सप्लाई में भी लाने होंगे. साथ ही देश में मौजूदा सप्लाई चेन का भी इस्तेमाल करना होगा. तभी लोग फ्रोजन मछली और मछली से बने प्रोडक्ट की तरफ आएंगे.
फ्रोजन झींगा एक्सीपोर्ट में भारत की लम्बी छलांग, 8 साल में 233 फीसद बढ़ा
साल 2010-11 में प्रोडक्शन- 82.31 लाख टन
साल 2021-22 में प्रोडक्शन- 162.48 लाख टन
साल 2019-20 में-
मरीन फिश प्रोडक्शन- 37.27 लाख टन
इनलैंड फिश प्रोडक्शन- 104.37 लाख टन
12.89 लाख टन फिश एक्सपोर्ट हुई.
साल 2021-22 में-
मरीन फिश प्रोडक्शन- 41.27 लाख टन
इनलैंड फिश प्रोडक्शन- 121.21 लाख टन.
13.69 लाख टन फिश एक्सपोर्ट हुई.
मछली पालक राहुल सागर का कहना है कि हाल ही में मंत्रालय ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था. कार्यक्रम में फाल्कन मरीन एक्सपोर्ट के जनरल मैनेज जीएस रथ, अमलगम ग्रुप के अध्यक्ष एजे थारकन और फ्रेश टू होम के सीईओ मैथ्यू जोसेफ भी शामिल हुए थे. सभी ने इस पर पर जोर दिया कि देश में फिश प्रोसेसिंग यूनिट, रेडी टू ईट और रेडी टू कुक मछली की जरूरत है.
तभी यह कारोबार रफ्तार पकड़ेगा. वरना आज भी एक आम आदमी फ्रोजन फिश के बजाए ताजा मछली ही खाना पसंद करता है, फिर चाहें उसके लिए उसे चार से छह दिन तक इंतजार ही क्यों न करना पड़े. लेकिन असल बात यह है कि इस सब के लिए सबसे पहले प्रोसेसिंग यूनिट, आरटीई और आरटीसी को बढ़ावा दिया जाए.
ये भी पढ़ें-
अडानी कंपनी मथुरा में गौशाला के साथ मिलकर बनाएगी CNG, जानें प्लान
CIRG की इस रिसर्च से 50 किलो का हो जाएगा 25 किलो वाला बकरा, जानें कैसे
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today