AI: कृत्रिम गर्भाधान को मिलेगी रफ्तार, बढ़ेगी पशुओं की संख्या, सरकार ने किया ये बड़ा काम 

AI: कृत्रिम गर्भाधान को मिलेगी रफ्तार, बढ़ेगी पशुओं की संख्या, सरकार ने किया ये बड़ा काम 

कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) के लिए जरूरी है कि पशुओं के सीमेन की क्वालिटी बनाए रखने के साथ ही मानकों के मुताबिक उसका स्टोरेज किया जाए. इसी जरूरत को पूरा करने के लिए राजस्थान सरकार नाइट्रोजन के साइलो तैयार कर रही है. अब तक 29 साइलो बनकर तैयार हो चुके हैं.

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AI: कृत्रिम गर्भाधान को मिलेगी रफ्तार, बढ़ेगी पशुओं की संख्या, सरकार ने किया ये बड़ा काम सेक्स सॉर्टेड सीमेन

पशुओं की संख्या बढ़ाने और नस्ल सुधार के लिए कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) को बढ़ावा दिया जा रहा है. लेकिन इसमे सबसे बड़ी परेशानी है पशु के सीमेन को सुराक्षि‍त रखना. एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो सीमेन की स्ट्रॉ को सुराक्षि‍त रखने के लिए नाइट्रोजन की जरूरत है. नाइट्रोजन से भरे जार में ही सीमेन की स्ट्रॉ रखी जाती हैं. हालांकि इसमे कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन राजस्थान सरकार ने इस परेशानी को दूर करने के लिए बड़ा काम किया है. सरकार के इस कदम से जहां कृत्रिम गर्भाधान को रफ्तार मिलेगी, वहीं पशुओं की संख्या भी बढ़ेगी. 

राजस्थान सरकार राज्य के ज्यादातर शहरों में नाइट्रोजन के साइलों तैयार करा रही है. इतनी क्षमता तीन हजार से लेकर छह हजार लीटर तक की है. 13 और नए साइलो का उद्घाटन कुछ दिन पहले ही पशुपालन मंत्री जोराराम कुमावत ने ऑनलाइन किया था. जानकारों की मानें तो इसके बाद राजस्थान में साइलो की संख्या 29 हो गई है. 

29 साइलो की क्षमता हो गई 93 हजार लीटर

राजस्थान के पशुपालन, गोपालन और डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत का कहना है कि पशुओं का सीमेन रखने के लिए राज्य में अब तक 29 साइलो का निर्माण किया जा चुका है. इनकी क्षमता 93 हजार लीटर है. 16 जिलों में तीन-तीन हजार लीटर क्षमता के साइलो बनाए गए हैं. जबकि जयपुर और उदयपुर के साइलो की क्षमता छह-छह हजार लीटर की है. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कृत्रिम गर्भाधान के लिए जरूरी सभी सुविधाएं भी जिलों में उपलब्ध करा दी गई है. हमारा मकसद राजस्थान को कृत्रिम गर्भाधान में पहले नंबर पर लाने का है. पशु मैत्री कार्यकर्ताओं को एआई किट भी उपलब्ध कराई गई है.

मैत्री कार्यकर्ताओं को एआई किट में मिला ये सामान 

राजस्थान पशुपालन विभाग की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक मैत्री कार्यकर्ताओं को एआई किट बांटी गई हैं. राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत 73.25 लाख की लागत से 629 मैत्री कार्यकर्ताओं और 1687 विभागीय संस्थाओं को एआई किट दी गई हैं. कृत्रिम गर्भाधान की एआई किट में एआई गन, सीजर, एप्रेन, फॉरसेप, डीप- स्टिक, थर्मामीटर समेत कृत्रिम गर्भाधन में काम आने वाले हर जरूरी सामान है. राज्य में पहली बार इस किट में इलेक्ट्रिक कैटल तथा क्रायोजार बैग को भी शामिल किया गया है. आने वाले वक्त में करीब पांच हजार और एआई किट उपलब्ध कराए जाएंगे जिस पर 1.5 करोड़ रुपये की लागत आएगी. 

जैसलमेर को लेकर बनाई गई है खास योजना 

विभाग से जुड़े जानकारों की मानें तो जैसलमेर में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज को बढ़ाने के मकसद से मिशन उत्कर्ष जैसलमेर की शुरुआत भी की गई है. बड़ी भौगोलिक परिस्थितियों और मानव श्रम की कमी के कारण जिले में योजनाओं को जमीन पर लागू करने में परेशानी आती है. यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने जैसलमेर जिले का चयन किया और जिले में कृत्रिम गर्भाधान के लिए 4.85 करोड़ रुपये के विशेष बजट के साथ मिशन उत्कर्ष जैसलमेर परियोजना लागू की गई है. 

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