बारिश का असर: 250 रुपये तक महंगा हुआ सूखा चारा, घोर मुसीबत में फंसे डेयरी किसान

बारिश का असर: 250 रुपये तक महंगा हुआ सूखा चारा, घोर मुसीबत में फंसे डेयरी किसान

बारिश की वजह से सूखे चारे की घोर कमी हो गई है. गेहूं कटने के बाद उसके डंढल का इस्तेमाल भूसा और सूखे चारे के रूप में होता है. लेकिन बारिश ने सूखे चारे को एक तरह से खत्म कर दिया है. इससे पशुपालकों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है क्योंकि चारे के दाम में बहुत वृद्धि देखी जा रही है.

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बारिश का असर: 250 रुपये तक महंगा हुआ सूखा चारा, घोर मुसीबत में फंसे डेयरी किसानबारिश के बाद सूखे चारे के दाम में बड़ी वृद्धि देखी जा रही है

बारिश ने कई मायनों में लोगों को प्रभावित किया है. इसमें सबसे अधिक किसान और पशुपालक प्रभावित हुए हैं. किसानों की कई फसलें चौपट हो गई हैं. यहां तक कि मंडी में बिकने को तैयार गेहूं बर्बादी की कगार पर है. जो गेहूं अभी कटा नहीं है, उसकी फसल खेत में ही सड़ने की स्थिति में पहुंच गई है. यही हाल मंडियों में भी है. गेहूं से लेकर सरसों आदि की उपज भारी नुकसान झेलने को अभिशप्त है. सब्जियों की फसलों का भी यही हाल है. इससे अलग भारी समस्या सूखे चारे की देखी जा रही है. चारे पर ही डेयरी किसान और उनके मवेशियों का गुजारा चलता है. लेकिन बारिश ने सूखे चारे को भी बर्बाद कर दिया है. यहां तक कि भूसा भी नहीं बचा जिसे किसान अपने मवेशियों को खिला सकें.

गेहूं कटने के बाद उसके सूखे पौधे को भूसे में तब्दील कर दिया जाता है. यह भूसा अगले एक साल तक के लिए मवेशियों के चारे का काम करता है. लेकिन बेमौसम बारिश ने जहां उपज को बर्बाद किया, वही भूसे को भी नहीं छोड़ा. गेहूं का पौधा भीगने की वजह से उससे भूसा नहीं बन पा रहा है. भूसा तभी बन पाता है जब गेहूं का पौधा पूरी तरह से सूखा हो. लेकिन स्थिति इससे उलट हो गई है. इस वजह से मवेशियों के लिए चारे की घोर कमी देखी जा रही है. इस कमी की वजह से बाजार में बिकने वाला सूखा चारा बहुत महंगा हो गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक सूखे चारे की कीमत अभी प्रति क्विंटल 250 रुपये तक बढ़ गई है.

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250 रुपये तक महंगा हुआ सूखा चारा

'दि ट्रिब्यून' में हरियाणा के करनाल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अभी सूखे चारे का भाव 550 रुपये से 800 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है. पिछले साल इसी चारे का भाव 400-500 रुपये प्रति क्विंटल तक था. इस तरह एक क्विंटल पर चारे का दाम 250 रुपये तक बढ़ा हुआ देखा जा रहा है. इससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है क्योंकि एक तरफ बारिश से उनकी उपज मारी गई है, तो दूसरी ओर मवेशियों के लिए महंगे रेट पर चारा खरीदने की नौबत आ गई है. इससे पशुपालकों का खर्च बढ़ गया है जबकि दूध के रेट पहले वाले ही मिल रहे हैं.

एक एकड़ में छह क्विंटल तक घटा भूसा

किसान बताते हैं कि गेहूं के एक एकड़ खेत में कटाई करें तो लगभग 20 क्विंटल तक भूसा निकलता है. लेकिन अभी बारिश की वजह से यह उत्पादन गिरकर 12-15 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुंच गया है. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि बारिश की वजह से गेहूं के पौधे खेतों में गिर गए और उसमें पानी भर गया. करनाल के एक किसान शमशेर सिंह कहते हैं, बेमौसम बारिश ने गेहूं की पूरी फसल को खेतों में गिरा दिया. इससे भूसा की केवल मात्रा कम नहीं हुई बल्कि उसके उत्पादन पर भी गहरा असर पड़ा है. पिछले साल एक एकड़ में 18 क्विंटल तक भूसा निकला था, लेकिन इस बार यह मात्रा घटकर 12 क्विंटल तक पहुंच गई है.

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गौशाला में भी चारे की कमी

ऐसे ही एक पशुपालक दविंदर सिंह कहते हैं, दो दिन पहले ही 800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से चारा खरीदा है जबकि पिछले साल इसी सीजन में भाव 550 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा था. चारे का दाम बढ़ने से पशुपालन की लागत भी बढ़ गई है. मुसीबत केवल यही नहीं है. सूखे चारे की कमी से करनाल के कई गौशालाओं में परेशानी बढ़ गई है जहां पशुओं के लिए चारे का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है. 

गौशाला के एक कर्मचारी ने कहा, पिछले साल गौशाला ने 400 रुपये प्रति क्विंटल के रेट पर चारा खरीदा था. लेकिन इस साल बारिश की वजह से चारे की घोर कमी है. अभी स्थिति ये है कि एक क्विंटल चारे के लिए 700 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं. हाल की बारिश ने किसानों को इस कदर प्रभावित किया है कि वे मवेशियों के लिए चारे भी नहीं तैयार कर पा रहे हैं. एक किसान का कहना है कि लगातार बारिश हो रही है जिससे गेहूं के सूखे पौधे से चारा नही तैयार हो पा रहा है. बीते रविवार को बहुत कोशिश की गई, लेकिन बारिश ने पूरे काम में खलल डाल दी. 

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में चारे की और भी कमी होगी क्योंकि मौसम का मिजाज इतनी जल्दी सुधरने वाला नहीं है. इससे चारे के दाम में और भी बढ़ोतरी देखी जाएगी. अभी मांग भी तेजी से बढ़ रही है जिससे दाम में मजबूती आने की संभावना बन रही है.

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