Carnivore diet includes only meat, fish, and other animal-based foods like eggs and certain dairy products like butter. (Getty Images)हैल्थ मिनिस्ट्री की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में 70 फीसद से ज्यादा लोग नॉनवेजिटेरियन हैं. विश्व बाजार में भी मीट की डिमांड बढ़ रही है. लेकिन डिमांड के साथ ही मीट खरीदने वालों की कुछ शर्तें भी जुड़ रही हैं. देश में तो नहीं, लेकिन विश्व बाजार में ग्राहकों को ऑर्गेनिक मीट चाहिए. पशुओं से इंसानों को होने वालीं (जूनोटिक) बीमारियों के चलते लोग ऐहतियात बरत रहे हैं. इसी के चलते ऑर्गेनिक मीट की डिमांड बढ़ रही है. सबसे ज्यादा ऑर्गेनिक मीट की डिमांड बकरे के मीट में आ रही है. हालांकि एनिमल प्रोडक्ट जैसे दूध-दही और घी-मक्खन की भी डिमांड बढ़ रही है.
ग्राहाकों को अब डेयरी प्रोडक्ट भी ऑर्गेनिक चाहिए. इसीलिए भारतीय पशुपालन में पशुओं की बीमारी में एंटीबायोटिक्स दवाई का इस्तेमाल कम करने के साथ ही उन्हें सभी तरह का ऑर्गनिक चारा खिलाने की तैयारी चल रही है. मतलब चारा हरा हो या सूखा या मिनरल मिक्चर सब कुछ ऑर्गनिक खिलाया जा रहा है. इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना की उपयोजना भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) को बढ़ावा दे रही है.
कृषि मंत्रालय से जुड़े कई संस्थानों में किसानों को ऑर्गेनिक चारा उगाने के बारे में बताया जा रहा है. इतना ही नहीं बकरी और गाय रिसर्च सेंटर में खुद संस्थान भी खेतों में ऑर्गेनिक चारा उगा रहे हैं. ऑर्गनिक और नेचुरल फार्मिंग के लिए जीवामृत, नीमास्त्र और बीजामृत बनाया जा रहा है. चारा एक्सपर्ट साइंटिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ ने किसान तक को बताया कि जीवामृत बनाने के लिए गुड़, बेसन और देशी गाय के गोबर-मूत्र में मिट्टी मिलाकर बनाया जा रहा है. यह सभी चीज मिलकर मिट्टी में पहले से मौजूद फ्रेंडली बैक्टीरिया को और बढ़ा देते हैं. इसी का फायदा चारे को मिलता है.
फोडर एक्सपर्ट का कहना है कि बकरे-बकरियों और भैंस को खासतौर पर ऑर्गेनिक चारा खिलाने का बड़ा फायदा है. जब मीट एक्सपोर्ट होता है तो उससे पहले हैदराबाद की एक लैब में मीट की जांच होती है. जांच में यह देखा जाता है कि मीट में किसी तरह के नुकसानदायक पेस्टीसाइट तो नहीं है. और यह सिर्फ बकरे के मीट ही नहीं बीफ के मामले में भी ऐसा ही होता है. रिर्पोट पॉजिटिव आने पर मीट के कंसाइनमेंट को रोक दिया जाता है. इससे कारोबारी को बड़ा नुकसान होता है.
केन्द्र सरकार ने भारतीय प्रकतिक कृषि पद्वति (बीपीकेपी) उपयोजना के तहत आठ राज्यों छत्तीसगढ़, करेल, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, आंध्रा प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में बीपीकेपी केन्द्र बनाए गए हैं. ये सभी केन्द्र करीब चार लाख हेक्टेयर जमीन पर होने वाली नेचुरल फार्मिंग को कवर कर रहे हैं.
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