मछली पालने वाला हर किसान चाहता है कि तालाब में उसकी मछली स्वस्थ रहे और वजन बढ़े. अगर मछली स्वस्थ रहेगी तभी उसका वजन बढ़ेगा. वजन बढ़ेगा तभी किसान को बाजार में अच्छे भाव मिलेंगे. ऐसे में हमें जान लेना चाहिए कि मछली का साइज यानी वजन बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए. मछली को तालाब में कैसे पालें और क्या तकनीक अपनाएं कि उसका आकार और वजन बढ़ जाए. आइए इस बारे में जान लेते हैं.
तालाब में मछली का आकार बढ़ाने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना पड़ता है. इसके लिए आप नीचे बताए गए 5 स्टेप्स को फॉलो कर सकते हैं.
आपको मछली की सही प्रजाति का चयन करना होगा. ऐसी प्रजाति तालाब में पालनी होगी जो साइज और वजन के लिए उपयुक्त हो. इसके लिए आप दो तरह की मछली को पाल सकते हैं. एक, कैटफिश. दूसरी, तिलापिया. ये दोनों मछलियां कम दिनों में बड़ा आकार लेने और वजन बढ़ाने के लिए मशहूर हैं. इससे किसानों को कॉमर्शियल तौर पर फायदा होगा.
हम जहां रहते हैं, वहां के वातावरण का ध्यान रखते हैं. उसी तरह मछलियों के वातावरण का भी ध्यान रखना होता है. यानी तालाब का वातावरण मछली के लिए अनुकूल हो. इसमें सबसे जरूरी है कि जो मछली जिस तरह के पानी में रहती है, उसे वैसे ही पानी में पालना चाहिए. पानी गंदा भी नहीं होना चाहिए. तालाब के आसपास माहौल शांत रहना चाहिए क्योंकि मछलियों को शोर पसंद नहीं है.
जैसे ही हम बाकी मवेशियों और पालतू पशुओं के खाने-पीने का ध्यान रखते हैं. वैसे ही मछली के फीड का भी ध्यान रखना होगा. यह जरूर जानना होगा कि जिस मछली को हम तालाब में पाल रहे हैं, उसका प्रिय भोजन क्या है. ऐसा नहीं हो कि उसकी नापसंदगी वाला चारा या फीड खिलाएं. ऐसे में मछली का आकार घटेगा, न कि बढ़ेगा. ऐसा चारा दें जो पोषक तत्वों से भरपूर हो.
पक्षी और अन्य शिकारियों पर किसान को नियंत्रण रखना चाहिए. अगर शिकारियों पर नियंत्रण ना रहे तो तालाब में मछलियां डरी और सहमी रहती हैं. ऐसी स्थिति में उनका आकार नहीं बढ़ता. मछली का साइज तभी बढ़ता है जब उन्हें खुशहाल वातावरण मिले. इसलिए मछलियों को हर हाल में शिकारियों से दूर रखें.
मछलियों का सही समय पर हार्वेस्टिंग जरूरी है. मान लें तालाब में 100 मछलियां हैं जिनमें 80 बिकने लायक तैयार हैं तो उन 80 मछलियों को सही समय पर तालाब से जरूर निकाल लें. इससे बाकी की 20 मछलियों को पानी में अधिक जगह मिलती है, उन्हें तैरने का अधिक स्पेस मिलता है जिससे उनके बढ़ने और वजन में वृद्धि की संभावना अधिक रहती है.
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