देश में पिछले कुछ समय से खेती और पशुपालन का चलन काफी बढ़ रहा है. किसान अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं. पशुपालन में बकरी पालन (Goat Farming) पशुपालकों के बीच काफी लोकप्रिय है. इसका मुख्य कारण बकरियों का आकार और बकरी पालन (Goat Farming) में कम लागत है. आपको बता दें कि बकरी पालन (Goat Farming) गाय और भैंस के मुकाबले कम जगह और कम लागत में बेहद आसानी से किया जा सकता है.
इसके लिए किसान को न तो ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है और न ही ज्यादा खर्च करने की. ऐसे में अगर आप भी बकरी पालन (Goat Farming) शुरू करना चाहते हैं तो बकरी की इन 4 नस्लों को पालना न भूलें. बकरी की ये 4 नस्लें आपको मालामाल बना सकती हैं. आइए जानते हैं कौन सी हैं ये नस्लें.
बकरी पलकों को बकरी पालन से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना और बकरी पालन (Goat Farming) के लिए सही योजना तैयार करना बहुत जरूरी है. बकरी पालकों को इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वे किस उद्देश्य से बकरी पालना (Goat Farming) चाहते हैं. यानी कि वे बकरी का दूध बेचकर पैसा कमाना चाहते हैं या फिर मांस और छाल बेचकर. इसके बाद काम के हिसाब से बकरी की नस्ल का चयन करना चाहिए. ताकि पशुपालकों को बाद में नुकसान न उठाना पड़े.
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जमुनापारी नस्ल की बकरी लंबी होती है. इनकी औसत ऊंचाई 46 से 50 इंच और वजन 100 से 140 पाउंड यानी 40 से 60 किलो तक होता है. यह बकरी औसत दूध उत्पादन 3 से 4 किलो तक देती है जो हमारे देश में औसत उत्पादन के समान है. वर्तमान में जमुनापारी नस्ल की बकरियां पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए बकरी पालकों को जमुनापारी और उत्तम देसी नस्ल के मिश्रण से तैयार संकर बकरियों का चयन करना चाहिए, जो अपेक्षाकृत सस्ती और आसानी से उपलब्ध हों.
जमुनापारी नस्ल के बाद सिरोही नस्ल की मांग बहुत अधिक है. भारत के राजस्थान के सिरोही जिले में बकरी की एक विशेष नस्ल पाई जाती है, जिसे सिरोही के नाम से जाना जाता है. सिरोही नस्ल की बकरियों को दूध और मांस दोनों के लिए पाला जाता है. सिरोही नस्ल की बकरियां न केवल उच्च गुणवत्ता वाले मांस उत्पादन के मामले में, बल्कि दूध उत्पादन के मामले में भी सबसे अच्छी नस्ल मानी जाती हैं.
यह बकरी किसी भी वातावरण में खुद को ढाल लेती हैं. इन बकरियों में अन्य नस्लों की तुलना में सूखा सहन करने की क्षमता भी अच्छी होती है. सिरोही नस्ल का रंग भूरा, सफेद और चितकबरे रंगों का मिश्रण होता है. इसकी एक खासियत यह है कि यह साल में दो बार बच्चों को जन्म देती है. यह प्रतिदिन एक से दो लीटर दूध भी देती है. इसका पालन करके बकरी पालन से मालामाल हुआ जा सकता है.
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बीटल नस्ल की बकरी को बकरी की उन्नत नस्ल माना जाता है. इस नस्ल की बकरी अपने दूध उत्पादन क्षमता के लिए जानी जाती है. इस नस्ल की बकरी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह डेयरी और मांस दोनों उद्देश्यों के लिए अच्छी है. इसके चमड़े के उत्पादों की बाजारों में काफी मांग है. इसका चमड़ा उच्च गुणवत्ता का होता है. यह प्रजाति मुख्य रूप से भारतीय राज्यों पंजाब और हरियाणा में पाई जाती है.
यह पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर और फिरोजपुर जिलों में पाई जाती है. इसलिए इसे अमृतसरी बकरी के नाम से भी जाना जाता है. यह प्रतिदिन औसतन 2 से 3 लीटर दूध देती है. यह ब्यांत काल में 1.5 से 1.9 लीटर दूध का उत्पादन करती है. यह बकरी सामान्य पशुओं की तरह चारा खाना पसंद करती है. अगर इसकी कीमत की बात करें तो पहली बार ब्याने वाली यह बकरी 20 से 25 हजार रुपए में आसानी से बिक जाती है.
जखराना बकरियों की एक खास नस्ल है, जो अपनी कई खास खूबियों के लिए जानी जाती है. यह बकरी की एक ऐसी नस्ल है जिसमें तीन खूबियां एक साथ पाई जाती हैं. जो इसे दूसरी बकरियों से अलग बनाती है. इस नस्ल की बकरी अपने उच्च गुणवत्ता वाले दूध और मानस के लिए जानी जाती है. साथ ही इसकी प्रजनन क्षमता भी अधिक होती है. यह बकरी रोजाना डेढ़ से दो लीटर दूध देती है.
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