भारत कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ पशु प्रधान देश भी है. यानी यहां खेती के साथ-साथ पशुपालन भी बड़े पैमाने पर किया जाता है. आज भी देश में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं जो अपनी आजीविका के लिए पशुपालन करते हैं और उन्हीं पर निर्भर हैं. ऐसे में जरूरी है कि पशुपालकों को पशुपालन की सही जानकारी हो. इसी कड़ी में कृषि विज्ञान केंद्र उज्ज्वल द्वारा बकरी पालकों के लिए 10 दिवसीय बकरी पालन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. जहां पशुपालकों को बकरी पालन से संबंधित सभी जानकारी दी गई.
कृषि विज्ञान केंद्र, उजवा, दिल्ली के द्वारा रोजगार परक बकरी पालन प्रशिक्षण का समापन किया गया. इस प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 25 अप्रैल से 04 मई, 2023 तक किया गया. कार्यक्रम के शुरुआत में डॉ. पी के गुप्ता, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली ने कहा कि छोटे, सीमांत कृषक एवं ग्रामीण युवा के लिए कम लागत में बकरी पालन सर्वोत्तम व्यवसाय है एवं स्वयं स्वरोजगार प्राप्त कर के आत्मनिर्भर बन सकते है.
उन्होंने कहा कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्रगतिशील किसानो, उद्यमियों, शिक्षित बेरोजगार युवाओं आधुनिक कृषि तकनिकी के साथ-साथ अन्य व्यवसाय जैसे - बकरी पालन, पशुपालन, मशरुम उत्पादन आदि से जोड़कर क्षमता विकास का कार्य कर रहा है. इस 10 दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान केंद्र के डॉ. जय प्रकाश, विशेषज्ञ (पशुपालन) ने प्रशिक्षुकों को बकरियों की विभिन्न नस्लें, उपयुक्त जलवायु के अनुसार पालन पोषण, चारा प्रबंधन, विभिन्न जीवाणु एवं विषाणु रोग के लक्षण व रोकथाम, आवासीय प्रबंधन व स्वास्थ्य प्रबंधन के बारे में विस्तृत रुप से जानकारी से प्रायोगित रुप से अवगत करवाया. डॉ. शंकर लाल, सहायक प्राध्यापक, स्वामी केशवानन्द राजस्थान कृषि विश्वविधालय, बीकानेर, राजस्थान ने वर्चूअल रुप से प्रशिक्षण कार्यक्रम में व्याख्यान दिया एवं प्रशिक्षणार्थियों को नवजात मेमनों की देखभाल, व्यवसाय के दौरान आने वाली परेशानियों एवं उनके निदान के बारे में अवगत करवाया एवं साथ बकरी पालन व्यवसाय के अच्छी नस्लों के चुनाव के बारे में भी जानकारी दी.
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मुकेश कुमार, विशेषज्ञ, पशुपालन ने भारत सरकार के द्वारा चलाई जा रही राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत आवेदन प्रक्रिया एवं अनुदान के बारे में विस्तृत जानकारी दी. डॉ. डी. के. राणा ने कहा कि व्यवस्थित रुप व्यवसायिक बकरी पालन के दौरान बकरियों व फार्म का रिकार्ड रखना आवश्यक है. डॉ. समर पाल सिंह विशेषज्ञ (सस्य विज्ञान) ने वर्ष भर हरे चारे के उत्पादन के बारे में अवगत करवाया. कैलाश, विशेषज्ञ (कृषि प्रसार) ने प्रशिक्षुकों को केंद्र के संचार एवं सूचना प्रौधौगिकी ने सोशल मीडिया के बारे में अवगत करवाया एवं बकरी पालन को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार एवं नाबार्ड के द्वारा चलाई जा रही अन्य योजनाओ के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई.
इस प्रशिक्षण में दिल्ली देहात सहित, हरियाणा, उत्तरप्रदेश एवं राजस्थान के प्रशिक्षुकों ने सहभागिता दर्ज की. जिनकों मूल्याकन व प्रतिक्रिया के पश्चात् प्रशिक्षित प्रमाण पत्र दिया गया. 10 दिनों के प्रशिक्षण में विभिन्न राज्यों के उम्मीदवार यहां पहुंचे थे और डॉ. जय प्रकाश प्रशिक्षण समन्वयक उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीमांत किसानों के लिए बकरी पालन एक आय सृजन उद्यम कैसे हो सकता है इसके बारे में बताया.
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