बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन ने लोगों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसका परिणाम यह हुआ है कि बिहार आज मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है. अब बिहार सरकार इस आत्मनिर्भरता को निर्यात के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक कदम उठा रही है.पशु और मत्स्य संसाधन विभाग ने एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट की स्थापना के लिए अधिकारियों को ठोस कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है. वहीं, इस इकाई के स्थापित होने से राज्य के मछली पालक न केवल अन्य राज्यों, बल्कि विदेशों में भी मछली का निर्यात कर सकेंगे.
हाल ही में पशु और मत्स्य संसाधन विभाग के मत्स्य निदेशालय ने राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की उच्चस्तरीय समीक्षात्मक बैठक आयोजित की. इस बैठक में मधुबनी जिले के चौर क्षेत्र में लागू क्लस्टर मॉडल की सफलता को देखते हुए इसे राज्य के अन्य जिलों में भी लागू करने का निर्णय लिया गया. साथ ही विभाग की मंत्री रेणु देवी ने मॉनसून शुरू होने से पहले सभी निर्माणाधीन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का निर्देश दिया.
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बिहार ने मछली उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है और अब पशु और मत्स्य संसाधन विभाग इसे विदेशों में निर्यात करने की तैयारी में जुट गया है. समीक्षा बैठक में विभाग की अपर मुख्य सचिव डॉ. विजयलक्ष्मी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे एक विशेष समिति का गठन करें, जो एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट की स्थापना के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करें. इससे मछली का अन्य देशों में निर्यात संभव हो सकेगा. उन्होंने कहा कि अधिशेष उत्पादन के आधार पर ही बिहार मछली निर्यात में योगदान दे सकता है. इसके अतिरिक्त, अपर मुख्य सचिव ने सभी जिला मत्स्य पदाधिकारियों को नवोन्मेषी प्रथाओं (इनोवेटिव प्रैक्टिस) को बढ़ावा देने और जिले में मौजूद मत्स्य अवसंरचना के समुचित रखरखाव के निर्देश दिए.
विभाग की मंत्री रेणु देवी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि मछुआरों को विभागीय योजनाओं का लाभ समय पर सुनिश्चित किया जाए. उन्होंने मॉनसून शुरू होने से पहले सभी निर्माणाधीन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का आदेश दिया. साथ ही उन्होंने अधिकारियों को पूरे समर्पण और तत्परता के साथ काम करने का निर्देश दिया, ताकि बिहार को मछली क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाया जा सके.राज्यस्तरीय समीक्षात्मक बैठक में योजनाओं के क्रियान्वयन और लक्ष्य प्राप्ति के आधार पर शेखपुरा, लखीसराय, जहानाबाद, समस्तीपुर और अररिया जिलों का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा.
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