मौजूदा समय में पशुपालन किसानों की पहली पसंद बनता जा रहा है. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन किसानों और पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. ऐसे में पशुपालकों के लिए ये जानना जरूरी है कि आप अपने पशुओं के रखरखाव और बेहतर खानपान की जानकारी रखें. वहीं, भारत में अक्सर चारे की क्वालिटी को नजरअंदाज कर दिया जाता है. साथ ही बहुत से लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं होता है कि पशुओं को कौन सा चारा कब दिया जाना चाहिए. ऐसे में विशेषज्ञों की मानें तो भारत में पशुओं के आहार पर कम ध्यान दिया जाता है. ऐसे में इस बात का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है कि पशुओं को कौन सा चारा कब खिलाया जाना चाहिए. आइए 4 पॉइंट्स में जानें पूरी बात.
1. पशुओं को अगर भूसा देना हो तो उसे दाने के साथ पहले पानी में भिगो देना चाहिए, इसे कुछ समय भिगो कर रखने के बाद ही पशुओं को खिलाएं.
2. जब आप पशुओं को सूखा चारा खिला रहे हैं, तो इससे पहले उसका कुट्टी बनाकर पशुओं को अच्छे से खिलाएं. इससे चारा का वेस्टेज कम होता है.
3. पशुओं को आप हरा चारा काटकर दें. हरे चारे को काटकर खिलाने से पशुओं में अफारा का खतरा नहीं होता है.
4. अगर आप पशुओं को दाना देना चाहते हैं तो पहले दाने को पानी में भिगोकर रखें. फिर जब दाना फूल जाए तो ही पशुओं को खिलाना चाहिए.
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पशुओं को सही समय पर चारा देना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में पशुओं को आपको दिन में 2 बार आहार देना चाहिए. आहार के सही पाचन के लिए ये ध्यान दें कि इसके बीच का अंतराल 8 से 10 घंटे का हो. वहीं, आहार में पशुओं को केवल दाना नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे पशुओं की पाचन शक्ति खराब हो सकती है और दूध उत्पादन में भी गिरावट आ सकती है. इसके अलावा दुधारू पशुओं को दूध निकालने के बाद ही चारा और दाना देना चाहिए.
1. पशुओं को जनवरी, फरवरी, मार्च और अप्रैल में बरसीम, लूसर्न, जई मेथी, भूसा, साइलेज का चारा खिलाना अच्छा होता है.
2. मई और जून में पशुओं को लूसर्न, लोबिया भूसा और साइलेज का चारा खिलाना चाहिए.
3. जुलाई, अगस्त और सितंबर में हरी जोंधरा, हरी ज्वार और लोबिया का चारा पशुओं को खिलाया जाना चाहिए.
4. अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में ज्वार, ग्वार, नेपियर, सूडान, भूसा का चारा खिलाना उपयुक्त माना जाता है.
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