बिहार के पशुपालक दें ध्यान! अगर पशुओं को लगा रहे ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, तो होगी सरकारी कार्रवाई

बिहार के पशुपालक दें ध्यान! अगर पशुओं को लगा रहे ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, तो होगी सरकारी कार्रवाई

Animal Husbandry: बिहार में पशुपालक ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन अगर पशुओं को लगाएंगे तो मिलेगी सजा. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के पशुपालन निदेशालय ने हाल ही में जारी सलाह में बताया कि इसका गैर-जरूरी उपयोग पशु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. यह हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है.

Advertisement
बिहार के पशुपालक दें ध्यान! अगर पशुओं को लगा रहे ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, तो होगी सरकारी कार्रवाई Milch Animal: दुधारू मवेशियों को ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगाना मना

बिहार सरकार ने दुधारू पशुओं को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के पशुपालन निदेशालय ने हाल ही में जारी सलाह में बताया कि इसका गैर-जरूरी उपयोग पशु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. यह हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है, जिससे पशुओं की प्राकृतिक दूध देने की क्षमता कम हो जाती है. लंबे समय तक उपयोग से दवा की लत लग सकती है, जिससे पशु बिना इंजेक्शन के दूध नहीं दे पाते. इससे दूध की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जो उपभोक्ताओं, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का दुरुपयोग दंडनीय अपराध है.

पशु स्वास्थ्य और दूध की गुणवत्ता पर असर

ऑक्सीटोसिन का अनुचित उपयोग दुधारू पशुओं में हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिससे उनकी प्राकृतिक दूध देने की क्षमता प्रभावित होती है. कई व्यावसायिक पशुपालक अधिक दूध उत्पादन के लिए इस इंजेक्शन का दुरुपयोग करते हैं, जिससे पशुओं में दवा की लत लगने का खतरा रहता है. इससे दूध की गुणवत्ता खराब हो सकती है, जो बच्चों और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. निदेशालय ने स्पष्ट किया कि ऑक्सीटोसिन का प्राथमिक कार्य प्रसव के दौरान गर्भाशय संकुचन और दूध स्राव में सहायता करना है, लेकिन इसका कृत्रिम उपयोग पशुओं के लिए नुकसानदायक है.

कानूनी नियम और सख्त निर्देश

पशुपालन निदेशालय के अनुसार, ऑक्सीटोसिन को फूड एंड ड्रग एडल्ट्रेशन प्रिवेंशन एक्ट 1940 के तहत शेड्यूल ‘एच’ दवा में शामिल किया गया है, जिसका उपयोग बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के अवैध है. पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 और भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत इसका गलत उपयोग दंडनीय है. निदेशालय ने पशुपालकों से अपील की है कि वे स्वयं ऑक्सीटोसिन का उपयोग न करें. केवल विशेष परिस्थितियों में, जैसे प्रसव संबंधी जटिलताओं में, योग्य पशु चिकित्सक की सलाह पर ही इसका प्रयोग करें.

पशुपालकों के लिए जागरुकता अभियान

पशुपालन निदेशालय ने पशुपालकों को जागरूक करते हुए कहा कि ऑक्सीटोसिन के दुरुपयोग से पशुओं का स्वास्थ्य तो प्रभावित होता ही है, साथ ही दूध की गुणवत्ता और उपभोक्ताओं का स्वास्थ्य भी खतरे में पड़ता है. पशुपालकों को प्राकृतिक तरीकों से दूध उत्पादन बढ़ाने और पशु कल्याण पर ध्यान देने की सलाह दी गई है. निदेशालय ने कानूनी नियमों का पालन करने और पशु चिकित्सक की सलाह के बिना ऑक्सीटोसिन का उपयोग न करने पर जोर दिया. यह कदम पशु स्वास्थ्य और उपभोक्ता कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है.

POST A COMMENT