भारत में दुग्ध उत्पादों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. बढ़ती मांगों को देखते और समझते हुए देश के किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन को भी तेजी से अपना रहे हैं. पशुपालन में ज्यादातर किसान गाय और भैंस पालना पसंद करते हैं. पशुपालन को फायदे का सौदा बनाने के लिए जरूरी है कि हर पशु अधिक से अधिक दूध दे और हर साल एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे. लेकिन कई बार संतुलित पशु आहार न मिलने के कारण पशु कम दूध देने लगते हैं. यदि पशुओं को लम्बे समय तक उचित आहार न मिले तो उनसे प्राप्त नस्ल भी कमजोर हो जाती है.
ऐसे में अगर पशुपालक किसान कुछ बातों का ध्यान रखें तो उन्हें पशुओं से अधिक दूध और स्वस्थ नस्ल मिलती है. खास कर पशु जबगाभिन यानी गर्ववती हो तो उसका खास खयाल रखा जाना चाहिए. ताकि पशुपालकों को अधिक लाभ मिल सके. इसी कड़ी में आइए जानते हैं गाभिन पशुओं की कैसे करें देखभाल.
यह बात तो सभी जानते हैं कि अगर मां की सेहत बेहतर हो तो बच्चा भी स्वस्थ होता है. पशुपालन से लाभ पाने के लिए पशुपालक हमेशा स्वस्थ पशुओं को अपने साथ रखना पसंद करते हैं. बछड़े के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि उसकी मां को प्रसव से पहले और बाद में अच्छा आहार मिले. इसलिए गर्भावस्था के दौरान गाय-भैंसों के आहार का पूरा ध्यान रखना जरूरी है.
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डेयरी पशुओं के पालन-पोषण पर हर दिन ध्यान देने की आवश्यकता होती है, खासकर गर्भावस्था के दौरान. गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण जानवर बहुत संवेदनशील हो जाते हैं. आमतौर पर गाय गर्भधारण के 9 महीने और 9 दिन के अंदर बच्चे को जन्म देती है और भैंस 10 महीने और 10 दिन के अंदर बच्चे को जन्म देती है. पशुओं के शरीर में गर्भावस्था के 6 से 7 महीने के दौरान बच्चे का विकास धीरे-धीरे होता है जबकि आखिरी के 3 महीने में बहुत तेजी से होता है.
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