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Rajasthan: राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह, 448 को मिली डिग्री

Rajasthan: राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह, 448 को मिली डिग्री

बीकानेर स्थित राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का मंगलवार को दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ऑनलाइन जुड़े. इस मौके पर उन्होंने पशुपालकों की उन्नति और उनकी आय में वृद्धि के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किए जाने की जरूरत जताई. समारोह में कुल 448 स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचडी डिग्री दी गई. 

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राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को राज्यपाल कलराज मिश्र ने ऑनलाइन संबोधित किया. राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को राज्यपाल कलराज मिश्र ने ऑनलाइन संबोधित किया.

बीकानेर स्थित राजस्थान पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय का मंगलवार को दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया. कार्यक्रम में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ऑनलाइन जुड़े. इस मौके पर उन्होंने पशुपालकों की उन्नति और उनकी आय में वृद्धि के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किए जाने की जरूरत जताई. समारोह में कुल 448 स्टूडेंट्स को ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचडी डिग्री दी गई. उन्होंने कहा कि आज पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अतंर्गत इस तरह के पाठ्यक्रम विकसित किए जाने की जरूरत है जिससे पशुधन संरक्षण के साथ ही इनके उत्पादों के पोषण में भी गुणात्मक वृद्धि हो.

साथ ही उन्होंने कहा कि पशु-धन संरक्षण से जुड़े परम्परागत मूल्यों का आधुनिकता से मेल कराते हुए इस क्षेत्र में उपचार की नवीन पद्धतियों का विकास करना होगा,  तभी दवाओं व अन्य तत्वों की अधिकता से पशुधन और पशु उत्पादों पर होने वाले दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है.

21 स्टूडेंट्स को मिला पदक, 34 को पीएचडी डिग्री मिली

दीक्षान्त समारोह में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले 21 विद्यार्थियों को पदक एवं 331 विद्यार्थियों को स्नातक डिग्री मिली. साथ ही  96 स्टूडेंट्स को स्नातकोत्तर एवं 34 विद्यार्थियों को पीएचडी की उपाधियां दी गई. प्रो. एम.एल. मदन को इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से डॉक्टर ऑफ साइन्स की मानद उपाधि प्रदान की गई.

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भारत दूध उत्पादन में टॉप देशों में शामिल

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि साल 1951 में जब भारत में दूध का उत्पादन 17 एमएमटी था, तब अमेरिका में यह 53 एमएमटी था. परन्तु श्वेतक्रांति की बदौलत वर्ष 2021 आते-आते अमेरिका के 102 एमएमटी की तुलना में भारत में दुग्ध उत्पादन 220 एमएमटी तक पहुंच गया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2003-2004 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में भी दुग्ध प्रसंस्करण क्षेत्र के उदारीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास हुए थे. आज भी देशभर में सहकारिता के क्षेत्र में पशुपालकों को इसका निरंतर लाभ मिल रहा है. आज भी छोटे दुग्ध उत्पादकों से देश में हुई इस सहकार क्रांति को और आगे बढ़ाने की जरूरत है.

बीकानेर यूनिवर्सिटी की अलग पहचान

राज्यपाल मिश्र ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बीकानेर स्थित राज्य के एकमात्र पशु चिकित्सा एवं पशुविज्ञान विश्वविद्यालय के रूप में इस विश्वविद्यालय ने अपनी अलग पहचान बनाई है. उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय को पशुधन संरक्षण के साथ ही उत्पादकता वृद्धि के आधुनिक तरीकों, पशु उत्पादों के प्रसंस्करण, विपणन आदि के क्षेत्र में भी नवीन पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए. 

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पशुपालकों तक पहुंचे आधुनिक तकनीक

पशु विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसान व पशुपालकों तक नवीनतम उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों की सरल व सहज जानकारी हस्तांतरित की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि पशुचिकित्सा और पशु विज्ञान पुरुषों के वर्चस्व का क्षेत्र माना जाता रहा है, किन्तु आज दीक्षांत समारोह में 65 फीसदी पदक छात्राओं को मिलना एक शुभ संकेत है.

राजस्थान में पशुधन जनसंख्या से दोगुनी, यह रिकॉर्ड

दीक्षांत समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्व उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान) प्रो. एम.एल. मदन भी मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि भारत की कृषि पशुधन आधरित है. देश में मानव जनसंख्या के मुकाबले पशुधन की संख्या आधी है, जबकि राजस्थान में पशुधन की संख्या जनसंख्या की तुलना में दोगुनी है.

उन्होंने इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए पशुपालकों को अधिकाधिक सुविधाएं दिए जाने का सुझाव दिया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उपमहानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. बी.एन. त्रिपाठी ने कहा कि पशु चिकित्सा विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों और विद्यार्थियों को पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामने आ रही नई चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा.  

देशी गोवंश पर हो रहे काफी रिसर्च

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सतीश कुमार गर्ग ने विश्वविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए विद्यार्थियों की अकादमिक एवं सह- शैक्षणिक उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में देशी गोवंश की नस्लों राठी, थारपारकर, गिर, साहीवाल, कांकरेज तथा मालवी के विकास के लिए निरंतर शोध कार्य किए जा रहे हैं.

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