झारखंड में बोकारो जिला अंतर्गत मूंगो बगदा गांव के एक मुर्गीपालक पर मौसमी आपदा का कहर बरपा है. चंद मिनटों के तूफान ने उसकी अब तक की मेहनत की कमाई को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. अब वे सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं ताकि वे फिर से अपना काम शुरू कर सकें. बोकारो जिले के कसमार प्रखंड अंतर्गत रहने वाले इस युवा किसान का नाम रामू घांसी है. रामू घांसी ने अपनी मेहनत की कमाई जोड़ कर और साथ में लोन लेकर पॉल्ट्री फार्म शुरू किया था, ताकि वो भी अच्छे पैसे कमा सकें और अपने परिवार को बेहतर जीवन दे सकें. पर अचानक आई तेज हवा ने उनका सब कुछ उजाड़ दिया.
पीड़ित किसान रामू ने बताया कि मकैनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की डिग्री हासिल करने के बाद वे रोजगार की तलाश में हैदराबाद चले गए. वहां वे पार्ट्स बनाने वाली एक कंपनी में काम करने लगे. वहां पर उन्हें अहसास हुआ कि बाहर में काम करके पैसे नहीं बचाया जा सकता है. परिवार से दूर रहना पड़ता है पर उसके अनुरूप कमाई भी नहीं हो पाती है. आपको आपकी काबिलियत के हिसाब से पैसे नहीं मिलते हैं. इन सभी बातों को सोचने के बाद उन्होंने फैसला किया कि वे वापस अपने गांव जाएंगे और कोई व्यवसाय शुरू करेंगे. इसके बाद साल 2021 में अपने गांव लौट गए.
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यहां आकर उन्होंने अपने आस-पास के गांवों में देखा और अन्य लोगों से सलाह लेकर मुर्गीपालन करने का मन बनाया. इसके बाद उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी. खुद के पास जो जमा पैसै थे उसके लिए और महिला स्वयं सहायता समूह से दो लाख रुपये का लोन लिया. साथ ही साथ हजारीबाग जिले के गौरियाकर्मा से जाकर पॉल्ट्री मुर्गी पालन की ट्रेनिंग भी ली. तब जाकर उन्होंने जनवरी 2024 से अपनी खुद की पॉल्ट्री की शुरुआत की. पहली बार में उन्होंने 60,000 रुपये खर्च करके 2000 चूजे खरीदे. मुर्गी शेड, चारा और उपकरण खरीदने में लगभग उन्हें चार लाख रुपये खर्च करने पड़े.
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पहली बार में उन्होंने जो चूजे डाले थे उन्हें बेचकर लगभग 50 हजार रुपये की कमाई की. फिर उन्होंने 2000 चूजे लगभग 10 दिन पहले अपने फार्म में डाले थे. पर इस बार उनके साथ अनहोनी हो गई. सोमवार दोपहर बाद अचानक आई तेज हवा ने सब कुछ तहस नहस कर दिया. उनके मुर्गी शेड का एस्बेस्ट्स उड़ गया और दीवार भी गिर गई. इसके कारण दबने से लगभग 500 मुर्गियों की मौत हो गई. घटना के वक्त शेड मे उपस्थित रामू घांसी के माता पिता को भी इसके कारण चोटें आई हैं. हालांकि चोट गंभीर नहीं है. पीड़ित किसान ने बताया कि इसके कारण उन्हें चार लाख रुपये का नुकसान हुआ है. अब उनके पास पूंजी भी नहीं है. इसलिए वो सरकार से मांग करते हैं कि उन्हें प्राकृतिक आपदा के कारण हुए नुकसान का उचित मुआवजा दिया जाए ताकि फिर से वो अपना व्यवसाय शुरू कर सकें और लोन चुका सकें.
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