पशुपालन सेक्टर से मजबूत होगा विकसित भारत का सपना, पटना में वैज्ञानिकों ने रखे सुझाव

पशुपालन सेक्टर से मजबूत होगा विकसित भारत का सपना, पटना में वैज्ञानिकों ने रखे सुझाव

पटना के दशरथ मांझी सभागार में आयोजित राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विज्ञान अकादमी के 23वें दीक्षांत समारोह में विकसित भारत 2047 के लिए पशुधन और प्रोटीन उत्पादन पर हुआ मंथन.

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पशुपालन सेक्टर से मजबूत होगा विकसित भारत का सपना, पटना में वैज्ञानिकों ने रखे सुझावअंडा और मछली से बनेगी भारत की ताकत

बिहार की राजधानी पटना के दशरथ मांझी सभागार में राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विज्ञान अकादमी (भारत) का तेईसवां वैज्ञानिक दीक्षांत समारोह सह राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना और सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ फार्म एंड कम्पैनियन एनिमल के संयुक्त तत्वावधान में “विकसित भारत 2047 के लिए भारत के पशुधन, कुक्कुट एवं मांस क्षेत्र के रूपांतरण हेतु रणनीतिक ढांचा” विषय पर यह कार्यक्रम आयोजित हुआ. वहीं कार्यक्रम के दौरान डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के मंत्री सुरेंद्र मेहता ने कहा कि पशुपालन और दुग्ध क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को अपनाना समय की जरूरत है, ताकि देश वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए स्वयं को तैयार कर सके. 

भारत को महाशक्ति बनने में अंडा और मछली की भूमिका

डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग के मंत्री सुरेंद्र मेहता ने कहा कि यदि देश आधुनिकीकरण को अपनाकर योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ता है, तो केवल दूध ही नहीं, बल्कि मांस, अंडा और मछली उत्पादन के क्षेत्र में भी भारत वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभर सकता है. उन्होंने वैज्ञानिकों, उद्योग जगत और नीति-निर्माताओं से समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया.

पोल्ट्री और फिशरीज में पारंपरिक ज्ञान का महत्व

राष्ट्रीय पशु चिकित्सा विज्ञान अकादमी (भारत) के अध्यक्ष डॉ. डी. वी. आर. प्रकाश राव ने न्यूट्रिशनल सिक्योरिटी को समय की आवश्यकता बताते हुए कहा कि पशुपालन उत्पादों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों तक संतुलित पोषण पहुंचाया जा सकता है. उन्होंने एंटीबायोटिक के विकल्पों की खोज को अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा कि इससे पशु स्वास्थ्य के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण को भी लाभ होगा. 

भारतीय खाद्य एवं कृषि चैंबर के महानिदेशक डॉ. तरुण श्रीधर ने बताया कि पशुपालन के अंतर्गत बकरी पालन, मत्स्य पालन और मुर्गीपालन बिहार को विकास की नई ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों के पास पारंपरिक ज्ञान और अनुभव की समृद्ध विरासत है, जो देश के अन्य हिस्सों में कम ही देखने को मिलती है.

देश में प्रोटीन की कमी एक गंभीर चुनौती

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेन्द्र भट्टा ने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे पशुपालकों और किसानों को हरे चारे के महत्व और उसकी पैदावार से संबंधित वैज्ञानिक ज्ञान प्रदान करें और उन्हें हरे चारे पर निर्भरता बढ़ाने के लिए प्रेरित करें. वहीं बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पशुपालन, दुग्ध, कुक्कुट एवं मत्स्य क्षेत्र देश की पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. भारत में प्रोटीन की कमी एक गंभीर चुनौती है और इसे दूर करने में पशुधन, कुक्कुट, मछली, दूध और मांस उत्पादन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है.

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