Weather Alert : घना कोहरा बढ़ा रहा फसलों पर पाला पड़ने का खतरा, किसान ऐसे करें बचाव

Weather Alert : घना कोहरा बढ़ा रहा फसलों पर पाला पड़ने का खतरा, किसान ऐसे करें बचाव

पहाड़ी क्षेत्र हो या मैदानी इलाके, मौसम की मार से हर जगह किसानों को साल भर सचेत रहना पड़ता है. इन दिनों North India के मैदानी इलाकों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. अध‍िकांश इलाके घने कोहरे की चादर से ढके हैं. ऐसे में किसानों के लिए फसलों पर पाला पड़ने का खतरा गहरा गया है.

कोहरे के कारण फसलों पर बढ़ रहा पाले का खतराकोहरे के कारण फसलों पर बढ़ रहा पाले का खतरा
न‍िर्मल यादव
  • Lucknow,
  • Dec 29, 2023,
  • Updated Dec 29, 2023, 3:09 PM IST

यूपी और एमपी के बुंदेलखंड जैसे तमाम अन्य पठारी इलाकों में कड़ाके की ठंड के दौरान घना कोहरा किसानों की चिंता बढ़ा रहा है. खासकर बागवानी फसलों के लिए कोहरे के कारण पाला पड़ने का खतरा पैदा हो गया है. ऐसे में कृष‍ि एवं उद्यान विभाग और कृष‍ि वैज्ञानिकों की ओर से किसानों को लगातार परामर्श भी जारी किया जा रहा है. यूपी सरकार की ओर कृष‍ि प्रभाव आधारित पूर्वानुमान के हवाले से प्रदेश के किसानों को दिसंबर के अंतिम सप्ताह में घना कोहरा होने का Red Alert जारी किया गया है. इसमें 27 और 28 दिसंबर को बुंदेलखंड के सभी 7 जिलों के अलावा पश्चिमी उप्र, लखनऊ और कानपुर सहित पूर्वांचल के दो दर्जन से ज्यादा जिलों में दिन और रात के समय घना कोहरा रहने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है. हालांकि 29 और 30 दिसंबर को इस स्थिति में सुधार आने की बात कही गई है.

किसानों के लिए सलाह

झांसी स्थित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृष‍ि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कोहरे के कारण बागवानी फसलों को पाले की चपेट में आने के खतरे के लिए किसानों को आगाह किया है. इसके लिए वैज्ञानिकों ने पाले से फसलों को बचाने के लिए किसानों काे कुछ कारगर तरीके अपनाने की सलाह दी है. इसमें 1 से 2 साल के फलदार पौधों को पुआल, घास-फूस, या पॉली शीट से ढकने की सलाह दी गई है. इसमें बांस से बने जाल को प्लास्टिक शीट से कवर करके भी पौधों को ढका जा सकता है.

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दवा से भी हो सकता है बचाव

वैज्ञानिकों के अनुसार फसलों को पाला पड़ने से बचाने के लिए कुछ दवाइयों का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें 20 ग्राम यूरिया एक लीटर पानी में मिलाकर बने घोल का फसलों पर छिड़काव करना कारगर होता है. साथ ही घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत WDG की 40 ग्राम मात्रा को 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है.

रबी फसलों पर यदि पाला पड़ने का खतरा हो तो 1 लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा 600 से 800 ग्राम घुलनशील गंधक को 300 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करना भी सार्थक विकल्प होता है.

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मौसम जनित अन्य खतरे

वैज्ञानिकों के मुताबिक कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच आलू की फसल में जब कंद बनने की अवस्था हो तो पछेती झुलसा रोग का खतरा बढ़ जाता है. इसकी रोकथाम के लिए मैंकोजेब दवा को 2 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करना चाहिए. साथ ही मध्यरात्रि के बाद हवा की दिशा में धुंआ करके हल्की सिंचाई करना उचित होगा. इसके अलावा फूल की अवस्था में इस मौसम में सरसों की फसल की बढ़त रुकने, फूल झड़ने और माहू रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए क्लोरपायरिफॉस 20 प्रतिशत दवा को एक लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए.

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