गंभीर सूखे की ओर बढ़ रहा बिहार, धान का बिचड़ा बचाने के लिए जूझ रहे किसान

गंभीर सूखे की ओर बढ़ रहा बिहार, धान का बिचड़ा बचाने के लिए जूझ रहे किसान

इस साल कम बारिश के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों में भूजल स्तर में 10 से 20 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसके कारण किसानों को सिंचाई के लिए पानी निकालने के लिए अपने बोरवेल या पंप चलाने में परेशानी हो रही है. इसके अलावा, डीजल से चलने वाले पंपों को चलाना महंगा सौदा है.

बिहार में नहीं हो रही बारिश. (सांकेतिक फोटो)बिहार में नहीं हो रही बारिश. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Aug 02, 2024,
  • Updated Aug 02, 2024, 12:21 PM IST

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और केरल सहित कई राज्यों में भारी बारिश हो रही है. इससे नदियों में बाढ़ आ गई है. लेकिन बिहार में सूखे जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं. यहां पिछले कई दिनों से बारिश नहीं हुई है. इससे खरीफ फसल खाकर धान को बहुत अधिक नुकसान पहुंच रहा है. पानी के अभाव में खेतों में दरारें आ गई हैं और खड़ी धान की फसलें सूख रही हैं. वहीं, किसान बारिश के अभाव में फसलों की रुपाई भी नहीं कर पा रहे हैं. गुरुवार को जारी भारतीय मौसम विभाग (IMD) के वर्षा के आंकड़ों से राज्य में स्थिति बहुत ही गंभीर है. 31 जुलाई तक राज्य में सिर्फ 241 मिमी बारिश हुई. यह सामान्य बारिश 340.5 मिमी से करीब 29 फीसदी कम है.

द टेलीग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के 40 जिलों में से सिर्फ दो बांका और खगड़िया में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. बाकी 14 जिलों में बारिश सामान्य से 40 फीसदी से 60 फीसदी कम रही है. दरभंगा में सबसे ज्यादा 59 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि मधुबनी में 56 फीसदी और सारण में 50 फीसदी कम बारिश हुई है. अन्य 14 जिलों में 20 से 39 प्रतिशत कम बारिश हुई है, जबकि 10 जिलों में सामान्य से 19 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है.

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बिहार में खरीफ की फसल बर्बाद

इस साल कम बारिश के कारण राज्य के विभिन्न हिस्सों में भूजल स्तर में 10 से 20 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसके कारण किसानों को सिंचाई के लिए पानी निकालने के लिए अपने बोरवेल या पंप चलाने में परेशानी हो रही है. इसके अलावा, डीजल से चलने वाले पंपों को चलाना महंगा सौदा है. सभी संकेत इस ओर इशारा कर रहे हैं कि बिहार में खरीफ की फसल बर्बाद होने वाली है. बारिश की कमी के कारण धान की खेती को सबसे अधिक नुकसान होगा. कई किसानों ने अभी तक धान की बुवाई नहीं की है. जलस्रोत सूख रहे हैं.

धान की पैदावार में आ सकती है गिरावट

मुंगेर जिले के कल्याणपुर के कृषिविद् और वाटरशेड कार्यकर्ता किशोर जायसवाल ने द टेलीग्राफ को बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में इस मौसम में अधिक तापमान के कारण फसलों में अधिक कीट लगने की संभावना है. कृषि विभाग ने इस साल राज्य में 36.56 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा है, लेकिन करीब 22 लाख हेक्टेयर में ही रोपाई हो पाई है. कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अच्छी बारिश की उम्मीद में किसान कई जिलों में धान की रोपाई रोके हुए हैं, लेकिन यह उम्मीद पूरी नहीं हो पा रही है. कुछ उम्मीदें बची हुई हैं, लेकिन अगर अगले सात से 10 दिनों में बारिश नहीं हुई तो धान की पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है.

10 लीटर डीजल पर सब्सिडी

इस बीच, राज्य सरकार ने किसानों को खेतों की सिंचाई में मदद के लिए डीजल सब्सिडी बढ़ा दी है, जो 75 रुपये प्रति लीटर दी जाती है. सरकार प्रति एकड़ 10 लीटर डीजल पर सब्सिडी देती है. हालांकि, बारिश न होने की वजह से यह सब्सिडी काफी कम हो जाती है.

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