Monsoon Update: खुशखबरी! समय से पहले आया मॉनसून, धान की खेती को मिलेगा बढ़ावा, किसान खुश

Monsoon Update: खुशखबरी! समय से पहले आया मॉनसून, धान की खेती को मिलेगा बढ़ावा, किसान खुश

समय से पहले आया मॉनसून इस बार किसानों के लिए खुशखबरी लेकर आया है. यदि किसान मौसम वैज्ञानिकों की सलाह मानकर समय पर तैयारी करते हैं, तो वे इस मौसम का पूरा लाभ उठा सकते हैं. अच्छी वर्षा के चलते धान की खेती में वृद्धि और लाभ की पूरी संभावना बन रही है. सही योजना और फसल का चुनाव किसानों को इस खरीफ सीजन में बेहतर मुनाफा दिला सकता है.

Monsoon arrived before time in BiharMonsoon arrived before time in Bihar
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 23, 2025,
  • Updated Jun 23, 2025, 10:59 AM IST

इस वर्ष भारत में मॉनसून ने तय समय से पहले ही दस्तक दे दी है. खास तौर पर बिहार राज्य में मॉनसून 17 जून से ही सक्रिय हो चुका है. मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मॉनसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है. डॉ. अब्दुस सत्तार, जो डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक हैं, उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि इस बार की बारिश किसानों के लिए विशेष रूप से लाभदायक साबित हो सकती है.

मॉनसून से किसानों को होगा बड़ा फायदा

मॉनसून की शुरुआती सक्रियता और अच्छी बारिश की संभावनाएं खासकर धान की खेती करने वाले किसानों के लिए वरदान बन सकती हैं. अच्छी वर्षा से खेतों में पर्याप्त नमी बनी रहेगी और सिंचाई पर किसानों की निर्भरता कम होगी. इससे फसल की लागत घटेगी और उपज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी. जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधा सीमित है, वहां यह समय धान की खेती के लिए बेहद अनुकूल माना जा रहा है.

मॉनसून क्या है और कब तक रहता है सक्रिय

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मॉनसून हवा की एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें दिशा बदलने से बारिश होती है. भारत में मॉनसून सामान्यतः जून से सितंबर तक सक्रिय रहता है और यह करीब 100 से 110 दिनों तक रुक-रुक कर वर्षा करता है. भारतीय उपमहाद्वीप में दो प्रकार के मॉनसून होते हैं – दक्षिण पश्चिम मॉनसून और उत्तर पूर्व मॉनसून. दक्षिण पश्चिम मॉनसून जून महीने में शुरू होता है और यह देश में लगभग 75 से 80 प्रतिशत वर्षा कराता है. यह मॉनसून अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आता है.

धान की खेती के लिए बना सुनहरा अवसर

डॉ. नीलांजय, जो पूसा कृषि विश्वविद्यालय में धान विशेषज्ञ हैं, के अनुसार इस वर्ष मॉनसून की समय से पहले सक्रियता धान की खेती के लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है. किसानों को सलाह दी गई है कि वे बारिश की शुरुआत के साथ ही धान की बिचड़ा (पौध) गिरा दें, ताकि समय पर रोपाई की जा सके. यह समय विशेष रूप से उपयुक्त है क्योंकि पौधों को शुरुआती बारिश का भरपूर लाभ मिलेगा, जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी.

धान की उपयुक्त किस्में और उनकी खेती

जहां खेतों में सिंचाई की सुविधा कम है, वहां के किसानों को मध्यम अवधि और क्रम अवधि वाले धान की किस्में जैसे राजेंद्र श्वेता, राजेंद्र नीलम, प्रभात, राजेंद्र कस्तूरी और राजेंद्र सुहासिनी अपनाने की सलाह दी गई है. इन किस्मों का बिचड़ा तुरंत गिराकर 22 से 25 दिन बाद रोपाई की जा सकती है. साथ ही ये किस्में सीधी बुआई के लिए भी उपयुक्त मानी जाती हैं.

वहीं जिन किसानों के खेतों में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है, वे लंबी अवधि वाले धान की किस्में जैसे राजश्री, राजेंद्र मसूरी-1, स्वर्णा और बीपीटी 5204 का चुनाव कर सकते हैं. इन किस्मों की पौध तैयार कर अब रोपाई की दिशा में बढ़ा जा सकता है.

आने वाले दिनों में बारिश की अच्छी संभावना

डॉ. अब्दुस सत्तार के अनुसार, बिहार में अगले दो से तीन दिनों के भीतर औसतन 40 से 50 एमएम तक बारिश होने की प्रबल संभावना है. ऐसे में किसानों को सलाह दी गई है कि वे खेतों की तैयारी अभी से शुरू करें ताकि बारिश का अधिकतम लाभ उठाया जा सके. अच्छी बारिश से बीज अंकुरण में मदद मिलेगी और फसल की जड़ें भी मजबूत बनेंगी.

किसानों के लिए उपयोगी सलाह

मौसम वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे मौसम की चाल पर लगातार नजर रखें और समय पर बिचड़ा गिराएं. खेतों की तैयारी जल्दी पूरी कर लें ताकि बारिश शुरू होते ही फसल को लगाया जा सके. साथ ही, खेत की स्थिति के अनुसार धान की किस्मों का चयन करें, जिससे उत्पादन में वृद्धि हो और खर्च कम हो.

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