जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है. तेज बारिश के कारण मकान ढह गए हैं, सड़कें धंस गई हैं और किसानों की खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. हालात इतने बिगड़ गए हैं कि कई लोग अपने टूटे घरों को छोड़कर अस्थायी झोपड़ियों और शेड्स में रहने को मजबूर हैं. जिले के मजरकोट तहसील का हाल सबसे खराब बताया जा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस नेता फारूख खान ने स्थिति का जायजा लेने के बाद बताया कि पूरे इलाके में 55 से 60 घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. कई जगह सड़कों का अस्तित्व मिट गया है.
कांग्रेस नेता ने कहा कि पहाड़ से आने वाला सारा पानी घरों के पीछे जमा हो गया, जिससे उनका ढांचा पूरी तरह ढह गया. उन्होंने यह भी कहा कि पहले से ही पाकिस्तान की सीमा पार से होने वाली गोलाबारी और ऑपरेशन सिंदूर जैसी घटनाओं से ग्रामीण नुकसान झेलते आए हैं, अब लगातार दो से ढाई महीने से जारी बारिश और बाढ़ ने हालात और बिगाड़ दिए हैं.
स्थानीय निवासी मोहम्मद रफीक ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि उनका मकान पूरी तरह तबाह हो गया है और अब वह अपने परिवार के साथ खुले शेड में रह रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में किसी के पास न तंबू है, न कपड़े, न ही जरूरी सामान. यह इलाका सीमा से सटा होने के कारण पहले से संवेदनशील है. सेना के जवान भी स्थिति का जायजा लेने आए, लेकिन यहां बचा ही क्या है, सबकुछ तबाह हो चुका है.
भारी बारिश से न सिर्फ राजौरी, बल्कि कटरा से माता वैष्णो देवी तक जाने वाली यात्रा भी प्रभावित हुई है, जिसके चलते यात्रा लगातार 12वें दिन शनिवार को भी बंद रही. त्रिकुटा पहाड़ियों में लगातार हो रहे भूस्खलन और सड़कों पर मलबा गिरने से श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. मौसम विभाग के अनुसार, 7 सितंबर तक फिलहाल कोई खास अलर्ट नहीं है, लेकिन 8 और 9 सितंबर को गरज-चमक के साथ तेज हवाएं चलने की संभावना जताई गई है.
गौरतलब है कि 26 अगस्त को भारी बारिश के कारण अधकुआरी के पास हुए बड़े भूस्खलन में 34 लोगों की मौत हो गई थी और कई घायल हो गए थे. यह हादसा दोपहर तीन बजे के करीब हुआ, जब भारी बारिश के चलते इंडरप्रस्थ भोजनालय के पास पहाड़ का बड़ा हिस्सा धंस गया. उसी के बाद से यात्रा बंद है.
जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस हादसे की जांच के लिए तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है. समिति को भूस्खलन के कारणों की विस्तृत जांच कर दो हफ्तों के भीतर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं. सिन्हा स्वयं श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अध्यक्ष हैं और उन्होंने साफ कहा है कि ऐसी घटनाओं को रोकने और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. (एएनआई)