उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में पिछले चार दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने भारी तबाही मचाई है. इस प्राकृतिक आपदा की वजह से जिले के अलग-अलग हिस्सों में करीब 15 गरीब लोगों के मकान गिर गए, वहीं आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए हैं. सबसे दर्दनाक घटना रोहणी हरजीपुर गांव से सामने आई है. मंगलवार देर रात की यह घटना है जब अनुज नामक किसान अपने परिवार के साथ अपने घर में सो रहा था. तेज बारिश के कारण अचानक उनके कच्चे मकान की छत गिर गई, जिससे पूरा परिवार और उनके मवेशी मलबे के नीचे दब गए. अनुज, उनकी पत्नी मनसा देवी और दो बेटे हर्ष और आर्यन इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए.
चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और उन्होंने बड़ी मुश्किल से परिवार को मलबे से बाहर निकाला. सभी घायलों को तुरंत इलाज के लिए मुजफ्फरनगर के जिला अस्पताल ले जाया गया. वहां उनकी हालत को गंभीर देखते हुए डॉक्टरों ने उन्हें मेरठ रेफर कर दिया.
इस दर्दनाक हादसे में अनुज के दो मवेशियों की भी मौत हो गई. एक बछड़ा और एक बछिया घर के पास बंधे थे, जो मलबे के नीचे दबकर मर गए. यह घटना पूरे गांव के लिए बहुत बड़ा दुख है.
बीकेयू (भारतीय किसान यूनियन) के नेता विकास शर्मा ने जानकारी दी कि यह हादसा गांव के स्वर्गीय रमेश के बेटे अनुज के साथ हुआ. उन्होंने बताया कि सभी घायल मेरठ अस्पताल में भर्ती हैं और मनसा देवी की हालत सबसे ज्यादा गंभीर है. ग्रामीणों का कहना है कि डॉक्टरों का रवैया भी असंवेदनशील रहा और मनसा देवी को उचित इलाज नहीं मिल पाया.
ग्रामीणों और बीकेयू नेताओं ने जिला प्रशासन से पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता की मांग की है. उनका कहना है कि प्रशासन को तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत और पुनर्वास कार्य शुरू करना चाहिए. यह हादसा बताता है कि किस तरह से बारिश जैसी प्राकृतिक आपदा गरीबों के लिए बड़ी मुसीबत बन जाती है.
बीकेयू नेता विकास शर्मा ने कहा कि वह उच्च अधिकारियों से अपील करते हैं कि वे इस मामले का संज्ञान लें और पीड़ित परिवार की हर संभव मदद करें. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों, इसके लिए मजबूत मकान निर्माण और सुरक्षा उपायों की योजना बनानी चाहिए.
मुजफ्फरनगर की यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही और असुरक्षा को भी उजागर करती है. सरकार और प्रशासन को चाहिए कि गरीबों के लिए पक्के घर, राहत और सुरक्षित जीवन की गारंटी दी जाए.