भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी कि IMD ने मध्य प्रदेश कई जिलों में बारिश का अनुमान जताया है. आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि 5 सितंबर दिन गुरुवार को बैतूल, हरदा, देवास, मंदसौर, सिवनी, बालाघाट जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश या आंधी के साथ बिजली गिरने की संभावना है. मौसम विभाग ने कहा कि शुक्रवार को बैतूल, हरदा, देवास, रतलाम, मंदसौर, मुरैना, श्योपुरकलां जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश या आंधी के साथ बिजली गिरने की संभावना है. इसके बाद शनिवार को अलीराजपुर, झाबुआ, धार, रतलाम जिलों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश या आंधी के साथ बिजली गिरने की आशंका है. मौसम की इस स्थिति को देखते हुए आईएमडी ने किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. किसानों को अपनी फसलों को बचाने की सलाह दी गई है.
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आईएमडी ने कहा है कि भारी बारिश के कारण कपास, मक्का, सोयाबीन की फसल खराब हो सकती है. इसलिए खेत में पानी जमा न होने दें और खेत से जल निकासी की व्यवस्था करें, ताकि बाहरी मेड़ टूट न जाए. एडवाइजरी में कहा गया है-
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेत में जल निकासी की व्यवस्था करें ताकि भारी बारिश के कारण होने वाले जलभराव से बचा जा सके. फली भरने की अवस्था के दौरान, फली छेदक (विशेष रूप से हेलियोथिस आर्मिजेरा) फली और अनाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इंडोक्साकार्ब 15.80% ईसी (333 मिली / हेक्टेयर) के छिड़काव से फली छेदक कीट को नियंत्रित किया जा सकता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फली भरने की अवस्था में कोमल अनाज को खाने वाले चूहों के कारण होने वाली उपज हानि को बचाएं. यह चूहों के बिलों के पास फ्लोकोमाफेन 0.005% ब्लॉक बैट (स्ट्रोम) से बने जहरीले चारे (15-20/हेक्टेयर) रखकर किया जा सकता है.
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेतों में जल निकासी की व्यवस्था जरूर करें, ताकि भारी बारिश के कारण होने वाले जलभराव से बचा जा सके. कुछ क्षेत्रों में मक्का की फसल में अधिक नमी के कारण शीथ ब्लाइट का संक्रमण देखा गया है, इससे बचाव के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे तने में कार्बेन्डाजिम 1.5 ग्राम/लीटर या प्रोपिकोनाजोल 1 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें. कुछ क्षेत्रों में मक्का की फसल में अधिक नमी के कारण तना सड़न रोग देखा गया है, इसकी रोकथाम के लिए किसान जरूरी उपाय करें. किसान खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. अधिक मात्रा में नाइट्रोजन उर्वरक का प्रयोग न करें. कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (सीओसी) 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से 12-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें. मक्का की फसल पर फॉल आर्मी वर्म की संभावना है, इसलिए उस क्षेत्र में नियमित निगरानी रखें. यदि खेत में फॉल आर्मी वर्म दिखाई दे तो क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी 0.3 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
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कपास की बढ़वार के लिए एन पी के 19:19:19 जल घुलनशील उर्वरक @ 100 ग्राम/पंप का पत्तियों पर छिड़काव कर सकते हैं. सफेद मक्खी और जैसिड के हमले की निगरानी के लिए प्रति एकड़ 8-10 पीले चिपचिपे जाल लगाएं. कपास के खेतों में चूसने वाले कीटों का संक्रमण देखा गया है. इसलिए, किसानों को इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली/लीटर पानी या इमिडाक्लोप्रिड + एसीफेट 1 ग्राम/लीटर पानी या वर्टिसिलियम लैकन 5 ग्राम/लीटर पानी का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है.