महाराष्ट्र में कई दिनों से जारी बारिश और उफनाई नदियों और जलाशयों के पानी से 12 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें डूब गई हैं. सर्वाधिक नुकसान मराठवाड़ा रीजन के जिलों में हुआ है. राजस्व विभाग के अधिकारियों ने शुरुआती आकलन में कहा है कि 883 गांवों के 14 लाख से अधिक किसानों को बारिश के चलते नुकसान पहुंचा है. बारिश-बाढ़ स्थितियों के चलते 10 लोगों की मौत हो गई है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार दोपहर को प्रभावित इलाकों का दौरा कर पीड़ितों को राहत पैकेज देने की बात कही है.
महाराष्ट्र में कई दिनों से जारी बारिश के चलते छत्रपति संभाजीनगर, हिंगोली, लातूर, नांदेड़, बीड और जालना समेत 16 से ज्यादा जिलों में बाढ़ के हालात देखे जा रहे हैं. खेतों में पानी भरने से फसलें डूब गई हैं. जबकि, 523 जानवरों की मौत हो गई है और 1,126 घरों को नुकसान पहुंचा है. बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने किसानों से मिलने और नुकसान के बारे में जानने के लिए लातूर के नरसिंहवाड़ी गांव का दौरा किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पीड़ितों की मदद के लिए सरकार आकलन करा रही है और राहत राशि जारी की जाएगी.
महाराष्ट्र के राजस्व अधिकारियों के प्राथमिक आकलन में कहा गया है कि 1 सितंबर से लगातार 3 दिनों तक भारी बारिश से मराठवाड़ा क्षेत्र में कम से कम दस लोगों की मौत हो गई. एजेंसी के अनुसार भारी बारिश ने 7 जिलों में लगभग 11.67 लाख हेक्टेयर भूमि पर खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है. यहां धान, सोयाबीन, दलहन की खेती को सर्वाधिक नुकसान पहुंचा है. ज्यादातर खेत पानी से भरे हुए हैं.
मूसलाधार बारिश से 7 जिलों के 883 गांवों में फसलें बर्बाद हो गई हैं. इससे 14.62 लाख किसान प्रभावित हुए हैं. नांदेड़ जिले में सबसे ज्यादा 3.34 लाख हेक्टेयर से अधिक में खड़ी फसलें प्रभावित हुई हैं. वहीं, बीड और लातूर जिले में भारी बारिश के चलते डूबी फसलों के सड़ने का डर किसानों को सता रहा है. जबकि, मवेशियों के लिए चारे का संकट खड़ा हो गया है.
बारिश से फसलों को तो नुकसान पहुंचा है, लेकिन सिंचाई विभाग ने मराठवाड़ा क्षेत्र में भूजल स्तर पर सकारात्मक प्रभाव की बात कही है. यह क्षेत्र हर साल सूखे की चपेट झेलता है और यहां के जलाशय सूख जाते हैं. सिंचाई विभाग की ओर से कहा गया कि छत्रपति संभाजीनगर जिले का जयकवाड़ी बांध अपनी क्षमता का 95 फीसदी तक भर गया है. मराठवाड़ा क्षेत्र में ग्यारह प्रमुख वॉटर प्रोजेक्ट में औसत स्टोरेज 77.63 फीसदी तक बढ़ गया है. सिंचाई विभाग की रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र की कोई भी परियोजना अब डेड स्टोरेज कैटेगरी में नहीं है.
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