जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सिर्फ फसलों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके प्रभाव की वजह से कीटों का भी विस्तार हो रहा है. आपको याद होगा साल 2020 में टिड्डी दल ने देश के कई राज्यों में फसलों पर हमला करके फसलों को तबाह कर दिया था. ये़ टिड्डी दल जिस इलाके से गुजरा वहां के खेतों से फसलें गायब हो गईं थीं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि यह टिड्डी दल आखिर आया कहां से और यह कैसे देश में फसलों को बर्बाद किया. केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में ये जानकारी दी है.
शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा सांसद रतन लाल कटारिया ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए टिड्डियों के आक्रमण को लेकर सवाल पूछा था. उन्होंने सवाल पूछा कि क्या सरकार पिछले वर्ष कोरोनाकाल के दौरान कई राज्यों में टिड्डी दल के हमले के कारण फसलों और पशुओं के भारी नुकसान जैसी आपातकालीन स्थितियों से बचने के लिए कोई कदम रही है; यदि हां तो ब्यौरा क्या है? इस पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने लिखित जवाब दिया है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से फसलों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ने के अलावा कीटों का भी विस्तार हो रहा है. हाल ही के टिड्डी हमले भारत में 2019-20 और 2020-2021 में दर्ज किए गए जो 26 वर्ष बाद व्यापक स्तर पर टिड्डी आक्रमण का उदाहरण है. वहीं रेगिस्तानी टिड्डी सीमा पार पाए जाते हैं जोकि फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट हैं. यह झुंड में एक साथ सैकड़ों किलोमीटर तक उड़ सकते हैं.
टिड्डी झुंड की समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने लोकस्ट सर्कल कार्यालय स्थापित किया है जो राजस्थान में 8, गुजरात में 2, जोधपुर में 1 टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडबल्यूओ), बीकानेर में टिड्डी जांच के लिए एक फील्ड स्टेशन (एफ़एसआईएल) हैं.
फसल को नुकसान पहुंचाने वाले इस जीव के वैश्विक सीमा-पार प्रवासी होने के कारण इसकी वास्तविक स्थिति, गतिशीलता तथा टिड्डी नियंत्रण के बारे में सूचना के आदान-प्रदान के लिए खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) तथा दक्षिण पश्चिम एशिया आयोग से विभाग ने समन्वय स्थापित किया है.
प्रभावित क्षेत्र के किसानों को विभिन्न संचार माध्यमों से पहले ही पूर्व-चेतावानी और प्रबंधन कार्यनीतियों के बारे में नियमित रूप से एडवाईजरी जारी की जाती है.
उचित समय पर कैमिकल उपलब्ध कराया गया और कैमिकल छिड़काव अनेक तरीकों से किया गया इसमें हेलीकॉप्टर, ड्रोन और विविध मशीनरी जैसे नवीनतम स्प्रे पंप लगे हुए ट्रैक्टर और पिकअप वाहन शामिल हैं.
विभिन्न फसलों के लिए फसल आधारित आईसीएआर ने अनेक रोगों और कीट-नाशीजीवों की निगरानी, रोग पूर्वानुमान और एड्वाइजरी उपलब्ध कराते हैं. इसी प्रकार आईसीएआर-राष्ट्रीय पशु चिकित्सा महामारी तथा रोग संस्थान तथा एनएडीआरआईएस द्वारा दो माह पहले ही रोग प्रकोप पूर्वानुमान की पूर्व चेतावनी और पूर्वानुमान उपलब्ध कराया जाता है. इसमें जलवायु घटकों का ध्यान रखा जाता है.
पशु रोग जैसे एलएसडी, सीएसएफ, एएसएफ़, नीली जीभ रोग, एंथरैक्स आदि से पशुओं के संरक्षण के लिए पशुओं के टीके (वैक्सीन) के विकास और टीकाकारण पर भी विशेष ज़ोर दिया गया है.