हाल ही में हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश हुई है, लेकिन इसके बावजूद भाखड़ा और पोंग डैम में पानी का स्तर पिछले साल के मुकाबले काफी कम बना हुआ है. 21 जून 2025 को भाखड़ा डैम में पानी का स्तर 1,560.32 फीट दर्ज किया गया, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 25 फीट कम है. इसी तरह पोंग डैम का जलस्तर भी इस साल 1,288.76 फीट रहा, जबकि पिछले साल इसी दिन यह 1,309.60 फीट था, यानी लगभग 21 फीट की कमी दर्ज की गई है.
भाखड़ा डैम में शनिवार को पानी की आमद (inflow) 32,699 क्यूसेक रही, जो पिछले साल के 34,525 क्यूसेक के मुकाबले थोड़ी कम है. लेकिन डैम से पानी की निकासी (release) 34,500 क्यूसेक रही, जो आमद से ज्यादा है. इसका कारण पंजाब और हरियाणा में धान की रोपाई के लिए अधिक सिंचाई की ज़रूरत है.
वहीं पोंग डैम में इस बार पानी की आमद 16,602 क्यूसेक रही, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है (5,389 क्यूसेक). लेकिन यहां से पानी की निकासी 9,011 क्यूसेक ही रही, जिसमें से लगभग 60% पानी राजस्थान भेजा जाता है.
भाखड़ा और पोंग डैम को भरने की अवधि 20 मई से 15 सितंबर तक मानी जाती है. इस दौरान बर्फ पिघलने और मॉनसून बारिश के कारण पानी की आमद में बढ़ोतरी होती है.
भाखड़ा डैम को मुख्य रूप से सतलुज नदी और इसके ऊपरी क्षेत्र में जमी हुई बर्फ के पिघलने से पानी मिलता है. वहीं पोंग डैम को ब्यास नदी और इसकी सहायक नदियों से पानी मिलता है, जो कि मॉनसून बारिश पर अधिक निर्भर होता है.
भाखड़ा बीस प्रबंधन बोर्ड (BBMB) के अनुसार, अभी भले ही दोनों डैमों में जलस्तर कम है, लेकिन आने वाले दिनों में मॉनसून की बारिश अगर सामान्य रही, तो जलस्तर में बढ़ोतरी की उम्मीद है.
पानी का यह स्तर कृषि, सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसलिए सरकार और BBMB की नजरें आने वाले मॉनसून पर टिकी हुई हैं. भले ही भारी बारिश हो चुकी हो, लेकिन भाखड़ा और पोंग डैम में पानी का स्तर अभी भी चिंता का विषय बना हुआ है. फिलहाल यह पूरी तरह मॉनसून पर निर्भर करेगा कि इन डैमों का जलस्तर सामान्य हो पाएगा या नहीं.
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