Farmer Success Story: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के रहने वाले युवा किसान कैलाश पवार ने यूट्यूब से स्ट्रॉबेरी की खेती सीखी और अपनी 6 एकड़ पथरीली बंजर जमीन पर यह फल उगाकर सालाना 36 लाख रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं. कैलाश ने बताया कि वह जो स्ट्रॉबेरी उगाते हैं, अभी उसकी खेती महाराष्ट्र और हरियाणा में होती है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि इसकी खेती में लागत (5 लाख प्रति एकड़) ज्यादा आती है, लेकिन कमाई सीधे डबल से भी ज्यादा होती है, जो उनके लिए काफी फायदेमंद है.
‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कैलाश ने बताया कि वह भूताई गांव में अपनी 6 एकड़ बंजर पथरीली जमीन पर आलू-टमाटर की फसल ले रहे थे, लेकिन उन्हें अच्छी पैदावार नहीं मिल रही थी. इसलिए उन्होंने फसल चक्र सुधारने का मन बनाया. इस दौरान उन्होंने स्टॉबेरी फार्मिंग पर कुछ वीडियो देखे तो और जानकारी जुटाई. बाद में बिछुआ में स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान वेदांत पवार से मुलाकात की और पुख्ता जानकारी ली.
कैलाश ने बताया कि उन्होंने 10 रुपये प्रति नग के भाव से उज्जैन के एक गांव से विंटर डाउन किस्म के स्ट्रॉबेरी के पौधे खरीदे. इसके बाद उन्होंने गोबर खाद और सन की घांस का इस्तेमाल कर बंजर पथरीली जमीन को स्ट्रॉबेरी की खेती के लायक बनाया. इसके बाद उन्होंने खेत में 3 फीट की दूरी पर क्यारियां बनाई और सिंचाई करने के बाद डेढ़ इंच गहराई में एक-एक फीट की दूरी रखते हुए स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाए. इस तरह उन्होंने प्रति एकड़ खेत में 22 हजार पौधे रोपे. उन्होंने सितंबर में यह पौधे लगाए थे, जिससे दो महीने बाद ही पैदावार मिलना शुरू हो जाती है.
कैलाश बताते हैं कि छिंदवाड़ा में उगने वाली स्ट्रॉबेरी की आस-पास के बड़ी शहरों में अच्छी मांग बनी रहती है. ऐसे ही नागपुर में दूर से स्ट्रॉबेरी सप्लाई होने के कारण वह इतनी ताजा नहीं रह पाती, ऐसे में बड़ी मात्रा में यहां से ताजा फलों की सप्लाई होती है. कैलाश ने कहा कि प्रति एकड़ जमीन पर स्ट्रॉबेरी की खेती में लगभग 5 लाख रुपये खर्च होते हैं, जबकि मुनाफा डबल से भी ज्यादा करीब 6 लाख रुपये होता है. इस प्रकार वह 6 एकड़ जमीन से सालाना 36 लाख रुपये तक मुनाफा कमा रहे हैं.
कैलाश अपनी फसल को खरपतवार और पानी के वाष्पीकरण से बचाने के लिए मल्चिंग तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. वह सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं. पौधे लगाने के 45-50 दिन में इसमें फूल आना शुरू हो जाते हैं और 60 दिन बाद फल आना शुरू हो जाते हैं. हर पौधे में करीब आधा किलो तक फल मिलते हैं. कैलाश ने अपने खेत में घुसपैठ और बेसहारा पशुओं से बचाव के लिए फेंसिंग और सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं.