गोरखपुर जिले के आबू बाजार की रहने वाली एक महिला अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं. दरअसल, बचपन से सामाजिक कार्यों से लेकर खेती-किसानी का शौक था. आज हम एक सफल महिला किसान तलत अजीज की कहानी बताने जा रहे हैं जो बीते 40 साल पहले गोरखपुर से 30 किलोमीटर दूर महराजगंज के पनियरा के गांव रजौरा में स्थित 15-16 एकड़ के फार्म हाउस पर खेती के साथ पशुपालन, मछलीपालन और पोट्री फॉर्म का बिजनेस शुरू किया. हालांकि, शुरुआती चरण में चुनौतियां कम नहीं थीं.
इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि इस पहल पर उनके पति डॉ अहमद अजीज और परिवार के सभी सदस्यों का भरपूर समर्थन मिला. तलत बताती हैं कि खेती किसानी का शौक तो बचपन से था, लेकिन शादी के बाद से वह खेती करती आ रही हैं. जिससे उन्हें सालाना 12-15 लाख रुपये की कमाई हो जाती है. उनका यहां तक कहना है कि पशुपालन, मछलीपालन, पोट्री फॉर्म, नगदी धान की फसल और गेंहू, आम की बागवानी, गन्ना की खेती, ताइवान पिंक अमरूद सहित मौसमी सब्जियों की खेती में आज तक नुकसान नहीं हुआ बल्कि लागत से अधिक मुनाफा हुआ है.
महिला किसान तलत अजीज ने आगे बताया कि मेरे पास कुल 15-16 एकड़ की खेती वाली जमीन है. जिसपर हम बीते 40 साल से अलग-अलग फसलों को उगा रहे है. इस साल पहली बार ताइवान पिंक अमरूद भी लगाया है. वहीं 4 एकड़ में आम की बागवानी की गई है. आम के वैरायटी के सवाल पर उन्होंने बताया कि दशहरी, लंगड़ा, कर्पूरी और आम्रपाली लगाया है.
जबकि मधुमक्खी पालन भी शुरू किया है, जहां मुझे पहले साल से अच्छी आमदनी होने लगी है. कुछ दिनों पहले हमने राजू सिंह से 6 डिब्बे खरीदे थे. एक डिब्बा 5 हजार रुपये का था. उस 6 डिब्बों से 17.5 किलो शहद निकला, जिससे मुझे एक लाख के करीब का फायदा हुआ. मैं हमेशा से प्रोग्रेसिव फार्मिंग करती हूं. मुझे कई सामाजिक मंचों पर सम्मानित भी किया जा चुका हैं.
73 साल की उम्र पार कर चुकी महिला किसान तलत अजीज ने बताया कि आम की बागवानी में खेत में छिड़काव करने के लिए काफी परेशानी होती थी, इसलिए हमने अपना खुद का ड्रोन यूनिट खरीद लिया. 9.5 लाख कीमत के इस ड्रोन पर 50 प्रतिशत की सरकार की तरफ से सब्सिडी मिली. कुल मिलाकर मुझे 4.88 लाख रुपये खर्च करना पड़ा. दरअसल, खेत में ठीक से कीटनाशकों और रसायनों एवं उर्वरको का छिड़काव नहीं हो पा रहा थी, इसलिए हमने इस साल खुद का एग्रीकल्चर ड्रोन खरीद लिया.
उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि अगर आप अपनी फसल को बढ़ाना चाहते हैं, तो मल्चिंग तकनीक का उपयोग कर अपनी उपज को बढ़ा सकते हैं. यह तकनीक मिट्टी की नमी को बनाए रखने में मदद करता है. खरपतवारों को फसल से रोकने में मदद मिलने के साथ ही मिट्टी की संरचना में भी सुधार करने में मदद मिलती है. इस तकनीक का उपयोग कर फसल के आस-पास पानी से होने वाले मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद भी मिलती है.
गोरखपुर की रहने वाली बुर्जुग किसान तलत ने बताया कि आईपीएम (IPM) तकनीक खेती के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. हमारे खेतों में चिपचिपी झंडियां, सोलर लाइट ट्रैप और अन्य यांत्रिक उपायों का इस्तेमाल किया गया है, जिससे कीट इन उपकरणों में फंसकर मर जाते हैं. इसके अलावा, अगर जरूरत होती है तो नीम के तेल का छिड़काव भी किया जाता है. यह विधि केवल आर्थिक दृष्टि से ही लाभकारी नहीं, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है.
तलत कहती हैं कि मैं खेती तक ही सीमित नहीं हूं, बल्कि पशुपालन, मछली पालन, पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry farming) और डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming)जैसे दूसरे कृषि कार्यों से भी जुड़ी हुई हूं, लेकिन खेती-किसानी में अकसर अनिश्चिततायें लगी रहती हैं, इसलिए मैं अलग-अलग काम भी कर रही हूं, उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने में मदद मिली है. वे अन्य महिला किसानों को भी खेती के साथ अन्य व्यवसाय को अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं.
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