ग्रामीण महिलाओं की आय बढ़ाने और उनके जीवनस्तर को उठाने के लिए महाराष्ट्र के बारामती में सुनंदा ताई पवार जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं. एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट के जरिए सुनंदा ताई पवार शारदा महिला संघ में महिलाओं को जोड़कर उन्हें रोजगार शुरू करने या खेती में पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए बैकों से वित्तीय मदद करा रही हैं. शारदा महिला संघ के जरिए 35 हजार से अधिक ग्रामीण और किसान महिलाओं के जीवनस्तर में सुधार हुआ है. इंडिया टुडे के एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म 'किसान तक' के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने ग्रामीण महिलाओं को लेकर किए जार रहे काम, रोजगार, खेती गतिविधियों की जानकारी दी.
सुनंदा ताई पवार ने बताया कि वह महाराष्ट्र के बड़े राजनीतक परिवार पवार घराने से आती हैं. उनके ससुर अप्पासाहेब पवार ने बारामती में ग्रामीणों और किसानों के जीवन सुधार के लिए 55 साल पहले एग्रीकल्चर डेवलपमेंट ट्रस्ट शुरू किया था. वह इस ट्रस्ट की ट्रस्टी और सचिव हैं. 55 वर्षीय सुनंदा ताई ने बताया कि उन्होंने एमबीए तक पढ़ाई की है और शादी के बाद से ट्रस्ट के साथ जुड़कर महिलाओं के जीवनस्तर को बेहतर करने में जुटी हैं. उन्होंने कहा कि वह बारामती के आसपास की तहसीलों की महिलाओं को अपने साथ जोड़ा है और उन्हें रोजगार के लिए पैसे की जरूरत को बैंकों के जरिए उपलब्ध कराने में मदद कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि शारदा महिला संघ के नाम से उन्होंने समूह बनाया है, जिसमें 35000 से अधिक महिलाओं के ग्रुप्स को जोड़ा गया है. इन महिलाओं को होममेड फूड और दूसरे उत्पाद बनाने के लिए बैंकों से फंड दिलाने में मदद की जा रही है. सुनंदा ताई ने कहा कि महिलाओं को वित्तीय मदद के लिए राष्ट्रीय बैंकों जैसे महाराष्ट्र बैंक, यूनियन बैंक, देना बैंक से पैसे दिलाती हैं. उन्होंने कहा कि अब तक वह महिलाओं को 7 करोड़ रुपये तक की वित्तीय मदद करा चुकी हैं.
वह सेल्फ हेल्फ ग्रुप के जरिए महिलाओं को जल संरक्षण के लिए ट्रेनिंग भी देती हैं. उन्होंने कहा कि मैं ग्रामीण महिलाओं को इकट्ठा करके उनके समूह बनाती हूं. उनको वित्तीय मदद देने के साथ ही उनके होममेड फूड और दूसरे उत्पादों को मार्केट उपलब्ध कराने के लिए पुणे के शिवाजी नगर में भीम्थड़ी जतरा नामक बड़ा एग्जीबिशन में ले जाती हैं और स्टॉल के जरिए उनके ग्रामीण उत्पाद बिक्री और प्रचार में मदद करती हैं. वहां से महिलाओं को ऑर्डर मिल जाते हैं. उन्होंने बताया कि इससे महिलाओं को काम मिलता है. उन्होंने बताया कि 5 तहसील बारामती, पुरंदर, इंदापुर, करजत और जामखेड तहसील की महिलाएं लगभग हर महीने 30 हजार से 35 हजार रुपये तक कमा पा रही हैं.
महिला किसानों को इजराइल तकनीक से खेती करने और आधुनिक तरीके से खेती करने की ट्रेनिंग दी जाती है. उन्होंने कहा कि महिला किसानों को खेती के साथ ही गाय और बकरी पालन, मुर्गी पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इससे उनकी आय बढ़ाने में मदद मिल रही है. उन्होंने कहा कि वह बेटियों को सेफ्टी ट्रेनिंग भी देती हैं और इसके लिए अकेडमी भी बनाई है, जहां गरीब तबके की बेटियों को ट्रेनिंग दी जाती है. उनके यहां से ट्रेनिंग पाकर कई बेटियां महाराष्ट्र पुलिस में जॉब कर रही हैं.