Success Story: बड़ी गजब है भदोही के किसान रामेश्वर सिंह की कहानी, जानिए कैसे कर रहे लाखों में कमाई

Success Story: बड़ी गजब है भदोही के किसान रामेश्वर सिंह की कहानी, जानिए कैसे कर रहे लाखों में कमाई

रामेश्वर सिंह ने आगे बताया कि वो खुद अपनी खेत में कूड़े से नाडेप कम्पोस्ट खाद तैयार करते है. इस तकनीक के तहत जमीन पर टांका बनाया जाता है. इसमें कम से कम गोबर का इस्तेमाल करके ज्यादा मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है.

रामेश्वर सिंह ने ऑर्गेनिक कंसल्टेंसी का काम शुरू किया.रामेश्वर सिंह ने ऑर्गेनिक कंसल्टेंसी का काम शुरू किया.
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Nov 18, 2023,
  • Updated Nov 18, 2023, 1:41 PM IST

Success Story: अगर मेहनत और लगन से पूरी कोशिश की जाए तो बड़ी से बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है. आज हम आपको एक ऐसे ही  प्रोग्रेसिव किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत से 28 गांवों के 1500 किसानों को अपनी सेवा दे रहे हैं. वहीं बेर की खेती से आज उनके बिजनेस का सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये है. जैविक खेती की महत्ता को देख उत्तर प्रदेश के भदोही जिले के ज्ञानपुर गांव के रहने वाले किसान रामेश्वर सिंह ने ऑर्गेनिक कंसल्टेंसी का काम शुरू किया. जैविक उत्पादों को किसानों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने 2017 में एग्री क्लिनिक की स्थापना की.

किसान तक से बातचीत में रामेश्वर सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार की योजना के तहत  एग्री क्लिनिक की स्थापना की थी, जिसके तहत किसानों को पशुपालन और खेती सहित कई कार्यक्रम की शुरुआत करने के लिए बैंक द्वारा लोन और दो माह का प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्होंने बताया कि वे एग्रीकल्चर में ग्रेजुएट हैं. इसके साथ वे अपने ग्राम पंचायत के एक्विट मेंबर हैं. एक बार उन्होंने एग्री-क्लिनिक और एग्री बिजनेस सेंटर में कृषि विज्ञान केंद्र कौशाम्बी द्वारा ओरिएंटेशन प्रोग्राम में हिस्सा लिया था. वह एसी और एबीसी योजना के तहत लाभों और एक्सटेंशन सर्विसेज से आश्वस्त थे. उसके बाद, उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), कौशाम्बी से संपर्क किया और दो महीने के रेजिडेंशियल ट्रेनिंग प्रोग्राम प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया.

रामेश्वर सिंह बताते हैं कि 2 एकड़ में बेर की खेती से उनको बहुत फायदा हुआ, क्योंकि कम लागत में अच्छा मुनाफा होता है. हमारे बेर की सप्लाई कोलकाता तक जाती है. जिससे हमें 5 लाख रुपये सालाना इनकम हो जाती है. बाकि बेर को हम लोग लोकल मंडियों में बेच देते है.

बेर की खेती से लाखों में इनकम

उन्होंने बताया कि उन्होंने गांव के कई बेरोजगार ग्रामीण युवकों को नौकरी दी. उन्हें इफको एजेंसी से सब्सिडी वाली खाद बेचने का लाइसेंस मिला. उसने किसानों को रजिस्टर्ड किया और जोत और फसल पैटर्न के अनुसार उर्वरकों का डिस्ट्रीब्यूशन किया. जिससे गांव के किसानों को अपनी फसलों की अच्छी लागत मिलने लगी.  रामेश्वर सिंह ने आगे बताया कि वो खुद अपनी खेत में कूड़े से नाडेप कम्पोस्ट खाद तैयार करते है. इस तकनीक के तहत जमीन पर टांका बनाया जाता है. इसमें कम से कम गोबर का इस्तेमाल करके ज्यादा मात्रा में अच्छी खाद तैयार की जा सकती है.

ये भी पढे़ं- UP Farmers: मुजफ्फरनगर पहुंचे BKU नेता राकेश टिकैत, बोले- भविष्य में किसान करेंगे बड़ा ट्रैक्टर आंदोलन!

इस तकनीक से सड़ी खाद बहुत उच्च गुणवत्ता की होती है और बेकार उपयोग में न आने वाले पदार्थों का इस्तेमाल होता है. उन्होंने बताया कि खेती के दौरान कई चीजों का ध्यान रखना होता है. यदि किसान अपनी फसल से अधिक लाभ कमाना चाहते हैं तो उन्हें अच्छी किस्म के साथ रोग आदि से अपनी फसल का बचाव करना चाहिए. वहीं सॉइल टेस्टिंग के महत्व को समझाने के लिए किसान प्रशिक्षण केंद्र खोला गया है. रामेश्वर ने कहा, अलग विषय पर भविष्य में और अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते है. ज्ञानपुर गांव के रहने वाले किसान रामेश्वर सिंह कई बार सम्मानित हो चुके हैं.

 

MORE NEWS

Read more!