Success Story: महिलाओं के लिए मिसाल हैं उत्तर प्रदेश की किसान पूनम सिंह, गोबर से कमा रही लाखों रुपये

Success Story: महिलाओं के लिए मिसाल हैं उत्तर प्रदेश की किसान पूनम सिंह, गोबर से कमा रही लाखों रुपये

इसलिए सबसे पहले केंचुआ खाद बनाकर अपने खेतों में डाला, इससे हमारी गेंहू की फसल की अच्छी पैदावार हुई. धीरे-धीरे हमने इसे बिजनेस के तौर पर आगे बढ़ाने का सोचा.

सुलतानपुर जिले के ब्लाक लंभुआ की रहने वाली महिला किसान पूनम सिंह (Photo-Kisan Tak)
नवीन लाल सूरी
  • Lucknow,
  • Mar 11, 2024,
  • Updated Mar 11, 2024, 4:09 PM IST

Success Story: महिला किसानों का योगदान खेती-किसान में बहुत महत्वपूर्ण है. आपने कई किसानों की सक्सेस स्टोरी जरूर सुनी होंगी. लेकिन आज हम आपको एक महिला किसान की स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले की रहने वाली हैं. सुलतानपुर जिले के ब्लाक लंभुआ के हड़हा गांव की रहने वाली पूनम सिंह पूरे क्षेत्र की महिलाओं के लिए एक मिसाल बनकर सामने आई हैं. पूनम पिछले 3 सालों से वर्मी कंपोस्ट का उत्पादन कर रही हैं.  इसकी बदौलत वो हर साल 7-8 लाख रुपये भी कमा रही हैं.

इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में 3 साल पहले हमने गांव की कुछ महिलाओं को जोड़कर वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का काम शुरू किया था. हमारे पति 2 से 3 एकड़ में गेहूं-मटर की खेती करते हैं. लेकिन आज के टाइम में रासायनिक खाद सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है. लेकिन लोगों को बीमारी से परेशान होता देख उन्होंने ऑर्गेनिक खेती (जैविक) की और रूख लिया.

25 किलो वर्मी कंपोस्ट खाद की कीमत 700 रुपये

इसलिए सबसे पहले केंचुआ खाद बनाकर अपने खेतों में डाला, इससे हमारी गेंहू की फसल की अच्छी पैदावार हुई. धीरे-धीरे हमने इसे बिजनेस के तौर पर आगे बढ़ाने का सोचा. पूनम बताती हैं कि गांव की 11 महिलाओं के साथ मिलकर हमने केंचुआ खाद बनाना शुरू किया. नतीजा सामने आने लगा. इसकी डिमांड बढ़ती गई. आज लोग बड़े पैमाने पर किसान वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद डालकर कम लागत में अपनी फसलों की अच्छी पैदावार कर रहे है. सफल महिला किसान पूनम ने आगे बताया कि 25 किलो वर्मी कंपोस्ट खाद की एक बोरी 600-700 रुपये में बिक जाती है. उन्होंने बताया कि रोजाना 2-3 कुंतल वर्मी कंपोस्ट खाद हम तैयार करते है, और इसकी बिक्री बड़े असानी से होती है. 

पूनम आज अच्छा मुनाफा प्राप्त करने के साथ रोजगार भी प्रदान कर रही हैं.

पूनम के काम करने का जुनून ऐसा है कि वो अपने इलाके में कृषि आजीविका सखी समूह से भी जुड़ी हुई है. जो किसानों को कृषि की नई-नई तकनीक बताने का कार्य करती है, जिससे किसानों के फसलों की अच्छी उपज और इनकम डबल हो सके. पूनम सिंह ने बताया कि इस काम के लिए उसे 20 हजार रुपये मिलते है. कुल मिलाकर ये महिला किसान अच्छा मुनाफा प्राप्त कर रहीं हैं.

जानिए कैसे बनाएं केंचुआ खाद

सुलतानपुर जिले की रहने वाली पूनम सिंह ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद का उत्पादन 6 X 3 X 3 फीट के बने गड्ढे बनाएं पहले दो से तीन इंच आकार के ईंट या पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़ों की तीन इंच मोटी परत बिछाएं. अब इस पत्थर के परत के ऊपर तीन इंच मोटी बालू की परत बिछाएं. इस बालू मिट्टी की परत के ऊपर अच्छी दोमट मिट्टी की कम से कम 6 इंच की मोटी परत बिछाएं.

गोबर की खाद में पोषक तत्व की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है.

उन्होंने बताया कि मिट्टी की मोटी परत के ऊपर पानी छिड़ककर मिट्टी को 50 से 60 प्रतिशत नम करें इसके बाद 1000 केंचुआ प्रति वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में छोड़ दें. इसके बाद मिट्टी की मोटी परत के ऊपर गोबर या उपले थोड़ी-थोड़ी दूर 8 से 10 जगह पर डाल दें तथा फिर उसके ऊपर तीन से चार इंच की सूखे पत्ते, घास या पुआल की मोटी तह बिछा दें.

45 दिन बाद केंचुआ खाद तैयार

वहीं 30 दिन के बाद ढंकने वाले टाट के बोरों, ताड़ या नारियल के पत्तों को हटाकर इसमें वानस्पतिक कचरे को या सूखे वानस्पतिक पदार्थों के साथ 60:40 के अनुपात में हरा वानस्पतिक पदार्थ मिलाकर 2 से 3 इंच मोटी परत फैलाई जाती है . इसके उपर 8 से 10 गोबर के छोटे-छोटे ढेर रख दिये जाते हैं.

ऑर्गेनिक फार्मिंग को बढ़ावा देते हड़हा गांव के किसान

गड्ढा भर जाने के 45 दिन बाद केंचुआ खाद तैयार हो जाती है. गोबर की खाद (Organic Manure) में भी पोषक तत्व की मात्रा कई गुना बढ़ जाती है. पूनम सिंह ने बताया कि वो समय-समय पर केवीके की तरफ से आयोजित व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में वैज्ञानिक प्रसंस्करण के साथ खाद्य विपणन उत्पादों के विभिन्न पहलुओं के बारे में नई-नई जानकारी लेती रहती है.

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