Mango Export: ओडिशा के ढेंकनाल की रहने वाली महिला किसान ज्योतिर्मयी प्रधान जो कभी अपने राज्य से बाहर भी नहीं गईं और जिनके लिए विदेश की यात्रा एक सपना है, अब उनके आम देश की सीमा के बाहर पहुंच रहे हैं. इस गर्मी में उनके आमों ने इटली तक की यात्रा कर डाली है. फल की मांग लगातार आ रही है कि पिछले खेपों के अनपैक होने से पहले ही नए ऑर्डर आ जाते हैं. महिला किसानों के एक समूह के साथ मिलकर प्रधान ने बिना किसी दाग के आमों की कटाई करने, उन्हें आकार के अनुसार छांटने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों के स्टैंडर्ड्स को पूरा करने के लिए उन्हें पैक करने की कला में महारत हासिल कर ली है.
अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार मध्य ओडिशा के बागों से लेकर यूरोप के शहरों तक, महिला किसानों के नेतृत्व में आम निर्यात ने ऐसी सफलता की कहानी गढ़ी है जिसमें शोर तो जरा भी नहीं था लेकिन जिसका जिक्र अब जमकर हो रहा है. प्रधान बालादेवजू महिला किसान उत्पादक कंपनी लिमिटेड की बोर्ड सदस्य हैं. यह महिलाओं के नेतृत्व वाला किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) है जिसके 1000 से ज्यादा शेयरहोल्डर्स हैं. एफपीओ ने दुबई को आमों का निर्यात करके 1 करोड़ का बिजनेस हासिल किया है.
कंसल्टिंग फर्म ग्रांट थॉर्नटन भारत की तरफ से STREE (Social and Transformative Rural Economic Empowerment) प्रोग्राम के तहत और एचडीएफसी बैंक के परिवर्तन की तरफ से समर्थित, एफपीओ ने यूरोपियन देशों को आम्रपाली आमों का निर्यात शुरू कर दिया है. बुधवार तक, एफपीओ ने इटली को 10 टन आमों की पांच खेपें भेजी हैं. जून में आम के मौसम के अंत तक, इसकी योजना 50 टन से अधिक निर्यात करने की है. इस पहल से 100 से ज्यादा महिला आम बाग मालिकों को फायदा मिल रहा है.
एग्रीकल्चर और प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट एक्सपोर्ट डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एपीईडीए) के सहयोग से ग्रांट थॉर्नटन भारत ने ओडिशा के आठ जिलों में 33 से ज्यादा एफपीओ के साथ काम किया है. इन सहयोगों ने क्षमता निर्माण अभ्यासों के जरिये से कटाई के बाद के मैनेजमेंट में चुनौतियों का हल निकालने पर ध्यान केंद्रित किया है. पहल के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ फलों की कटाई के बाद की हैंडलिंग पर आयोजिक एक ट्रेनिंग सेशन था. इसे खासतौर पर महिला किसानों के लिए तैयार किया गया था.
इसके बाद सरकारी एजेंसियों से भी सहयोग मिला जिसमें कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं के निर्माण, प्लास्टिक क्रेटों की खरीद, खेत से कलेक्शन प्वाइंट्स तक ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज किराया सब्सिडी के लिए मिलने वाली मदद शामिल थी. वैल्यु एडीशन और प्रोसेसिंग के लिए भी मदद दी गई थी.
महिला किसानों का कहना है कि इस मदद से उन्हें अपने बागों को स्थानीय डीलरों को पट्टे पर देने की मजबूरी से आजादी मिल गई है जो उनकी इनकम को सीमित कर रहा था. अब उन्हें अपने अपने स्थानीय उत्पादन के लिए ज्यादा रिटर्न भी मिल रहा है. ढेंकनाल जिले में 9.34 हेक्टेयर में आम की खेती होती है, जिसमें मुख्य रूप से आम्रपाली, लंगड़ा और केशरी जैसी किस्में उगाई जाती हैं और इसमें निर्यात की महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं.
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