रंगीन मछली पालन से लाखों की कमाई कर उड़ीसा के राजेश रंजन ने बनाई अपनी अलग पहचान

रंगीन मछली पालन से लाखों की कमाई कर उड़ीसा के राजेश रंजन ने बनाई अपनी अलग पहचान

उड़ीसा के राजेश रंजन ने अपनी दूरदर्शिता और मेहनत के बल पर रंगीन मछली पालन के क्षेत्र में एक नई मिसाल कायम की है. मछली पालन के इस अनोखे व्यवसाय से वे हर साल लाखों की कमाई कर रहे हैं. राजेश ने शुरुआत में पारंपरिक मछली पालन किया, लेकिन बाजार की मांग और अपनी रुचि को देखते हुए उन्होंने रंगीन मछलियों के पालन की ओर रुख किया. उनकी सफलता ने न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि क्षेत्र के अन्य युवाओं को भी प्रेरित किया है.

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जेपी स‍िंह
  • Noida,
  • Nov 25, 2024,
  • Updated Nov 25, 2024, 5:05 PM IST

थकान भरे दिन के बाद जब किसी की नजर घर में रखे एक्वेरियम पर पड़ती है, तो रंग-बिरंगी मछलियों की अठखेलियां मन को सुकून और ताजगी देती हैं. तनाव भरे पलों में इन मछलियों का इधर-उधर दौड़ना मन को शांत कर देता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सजावटी मछलियों का उत्पादन कैसे होता है? आज हम आपको ओडिशा के कटक जिले के कोचिया नोयगा गांव के किसान राजेश रंजन महापात्र के बारे में बता रहे हैं जो रंगीन मछली पालन कर रहे और सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं. राजेश रंजन महापात्र, जिन्होंने पहले निजी कंपनियों में काम किया और फिर एक्वेरियम में मछलियां पालने का शौक अपनाया, आज पांच एकड़ जमीन पर सजावटी मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं. सीफा (CIFA) भुवनेश्वर से प्रशिक्षण लेकर 2007 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर मछली पालन शुरू किया. शुरुआत में यह एक छोटा कदम था, लेकिन समय के साथ राजेश ने इसे एक बड़े व्यवसाय में बदल दिया. उनका कहना है, "सजावटी मछलियों का दाम सामान्य मछलियों की तुलना में 10 गुना तक अधिक होता है. 

छोटी सी शुरुआत से बड़ा सपना

राजेश ने बताया कि शुरुआत में उन्होंने गांव के अंदर ही छोटे स्तर पर काम किया. उन्होंने व्यवसाय को और विस्तार देने का फैसला किया. वे कहते हैं, जब मैंने शुरुआत की तो ओडिशा में इसका उतना चलन नहीं था, तब सिफा (CIFA) के डायरेक्टर सरोज सर सीनियर साइंटिस्ट थे, जिन्होंने शुरू से मेरी मदद की और मुझे मानसिक रूप से बहुत सपोर्ट किया. कई साल तक गांव में काम करने के बाद, 2017-18 में मुझे लगा कि इस छोटी सी जगह से अब काम को बढ़ाना चाहिए. उन्होंने अपने घर से 40 किमी दूर पांच एकड़ जमीन खरीदी और 6-8 महीने के अंदर उसे सजावटी मछलियों के फार्म में बदल दिया. आज उनके फार्म पर 100 से अधिक टैंक हैं, जहां रंग-बिरंगी मछलियां पाली जाती हैं.

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राजेश ने कहा, शुरुआत में ओडिशा में सजावटी मछलियों का कारोबार स्थापित करना आसान नहीं था. अधिकतर दुकानदार कोलकाता से मछलियां मंगवाते थे और स्थानीय मछलियों को खरीदने में रुचि नहीं दिखाते थे. राजेश बताते हैं, "शुरू में थोक दुकानदारों ने मुझसे मछलियां खरीदने से इनकार कर दिया. तब मैंने छोटे दुकानदारों से संपर्क किया. धीरे-धीरे मेरा नेटवर्क बढ़ा और अब पूरे ओडिशा में मेरे फार्म से मछलियां सप्लाई होती हैं. उन्हें सात लाख हर साल नेट इनकम मिल जाता है.

ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल की शुरुआत

राजेश ने केवल व्यवसाय तक ही अपने कदम सीमित नहीं रखे. उन्होंने ओडिशा के पहले ऑर्नामेंटल एक्वाकल्चर फील्ड स्कूल की शुरुआत की, जहां अन्य लोगों को मछली पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है. उनका मानना है कि एक्वेरियम में मछलियों का पालन एक अच्छा शौक भी है, जो पर्यावरण प्रेमी होने का संकेत देता है. राजेश का कहना है कि एक सफल एक्वेरियम व्यवसाय चलाने के लिए मछलियों की प्रजातियों और उनकी देखभाल के बारे में गहराई से जानना जरूरी है. मछलियों को स्वस्थ रखने के लिए टैंक की नियमित सफाई, सही आहार और बीमारियों से बचाव के उपायों का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है.

एक्वेरियम का महत्व और सजावटी मछलियों का भविष्य

आज एक्वेरियम केवल घर की सजावट के लिए नहीं, बल्कि मानसिक शांति के लिए भी उपयोगी माना जाता है. राजेश बताते हैं कि सजावटी मछलियों की मांग तेजी से बढ़ रही है. इस व्यवसाय में कदम रखकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. राजेश रंजन महापात्र की यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह दिखाती है कि सही दिशा में मेहनत और लगन से किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है. सजावटी मछलियों का व्यवसाय किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन सकता है, बशर्ते कि इसे सही तरीके से किया जाए. अगर आप भी सजावटी मछलियों की खेती में रुचि रखते हैं, तो राजेश की तरह इसे एक छोटे शौक से शुरू कर बड़े व्यवसाय में बदल सकते हैं. उनका सफर हमें सिखाता है कि चुनौतियां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हों, अगर दृढ़ संकल्प और सही मार्गदर्शन हो, तो सफलता अवश्य मिलती है.

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