राजस्थान में कोटा जिले के किसान गोलू को राजस्थान सरकार की ओर से बड़ा इनाम मिला है. यह इनाम कृषक उपहार योजना के तहत दिया गया है. इसमें प्रथम पुरस्कार विजेता गोलू को राजस्थान सरकार की ओर से 2.50 लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया है. यह इनाम ई-नाम (e-NAM) प्लेटफॉर्म के जरिये उपज की बिक्री और ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान लेने के लिए दिया गया है. इस उपहार योजना के अंतर्गत और भी कुछ किसानों को पुरस्कार दिया गया है.
राजस्थान सरकार की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग के शासन सचिव राजन विशाल की अध्यक्षता में सोमवार को पंत कृषि भवन में कृषक उपहार योजना के तहत कृषि विपणन विभाग की ओर से राज किसान पोर्टल पर राज्य स्तरीय ऑन-लाईन लॉटरी निकाली गई.
योजना के तहत कृषि उपज मंडी, कोटा से जुड़े किसान गोलू के नाम 2 लाख 50 हजार रुपये का प्रथम पुरस्कार, हनुमानगढ मंडी के किसान ओम प्रकाश के 1 लाख 50 हजार रुपये का द्वितीय पुरस्कार और कोटा कृषि उपज मंडी मंड के किसान रामभरोस के नाम 1 लाख रुपये का तृतीय पुरस्कार निकला. योजना में विजेता किसान को पुरस्कार राशि का भुगतान संबंधित मंडी समिति से किया जाता है. मंडी इस भुगतान राशि का पैसा राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड से प्राप्त करती है.
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कृषि विभाग की ओर से कृषि उपज को ई-नाम के माध्यम से बेचने और ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान पाने के लिए प्रेरित करने और किसानों को उनकी उपज का अधिकाधिक लाभ दिलाने के उद्देश्य से कृषक उपहार योजना लागू की गई है. योजना के तहत पुरस्कार मंडी स्तर पर प्रत्येक 6 महीने में गेट पास की विक्रय पर्चियों और ई-पेमेंट की विक्रय पर्चियों के आधार पर प्रथम पुरस्कार में 25 हजार, द्वितीय 15 हजार और तृतीय 10 हजार रुपये के ईनाम दिए जाते हैं.
खंड स्तर पर प्रत्येक 6 महीने में 50 हजार रुपये, 30 हजार रुपये और 20 हजार रुपये क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के तौर पर दिए जाते हैं. साथ ही राज्य स्तर पर साल में एक बार प्रथम पुरस्कार 2 लाख 50 हजार, द्वितीय पुरस्कार 1 लाख 50 हजार और तृतीय पुरस्कार 1 लाख रुपये के रूप में दिए जाते हैं. लॉटरी में कृषि विपणन के निदेशक राजेश कुमार चौहान, अतिरिक्त निदेशक रविंद्र कुमार शर्मा, प्रभारी योजना प्रमोद कुमार सत्या सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
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राजस्थान सरकार की ओर से यह योजना चलाई जा रही है ताकि किसानों को ई-नाम और ई-पेमेंट के लिए बढ़ावा दिया जा सके. इस सिस्टम के जरिये उपज की खरीद बिक्री डिजिटल और ऑनलाइन होती है जिसमें एक तरफ विक्रेता किसान तो दूसरी ओर खरीदार होता है. इसमें किसी तीसरे व्यक्ति यानी बिचौलिये का रोल नहीं होता जिससे किसानों को सीधा पैसा मिलता है. उनकी उपज का पूरा पैसा उनके खाते में जाता है. इससे भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की गुंजाइश बहुत कम रहती है.