Betel Vine Cultivation: भारत देश में पान की खेती लंबे समय से होती आ रही है. पान को खाने के साथ-साथ पान का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है. पान में कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं. वहीं पान यूपी के रायबरेली जनपद के किसानों की तकदीर बदल रहा है. वैसे तो अधिकतर किसान अपनी परंपरागत खेती करते हैं. आज हम बात कर रहे हैं रायबरेली जनपद के प्रगतिशील युवा किसान भोलेंद्र चौरसिया की. जो सेना में भर्ती होकर देश सेवा करना चाह रहे थे. परंतु नियति को कुछ और ही मंजूर था. किसान तक से बातचीत में भोलेंद्र 2019, 2020 और 2021 में सेना में भर्ती होने के लिए अवेदन किया था. लेकिन कोरोना लॉकडाउन के कारण भर्ती पर रोक लग गई, और मेरा सपना टूट गया. क्योंकि तक तक हम ओवर एज हो चुके थे. लेकिन हमने हार नहीं मानी और अपनी पुश्तैनी जमीन पर अपने दशकों पुराने खेती के कार्य को आगे बढ़ाया. भोलेंद्र चौरसिया ने बताया कि पान की खेती से आज सालाना 3-4 लाख रुपये की आय हो जाती है.
युवा किसान भोलेंद्र चौरसिया ने बताया की हम लोग पान का बरेजा करते हैं. जिसमें औसतन एक से डेढ़ लाख रुपए तक की लागत आती है. प्रथम वर्ष इससे ज्यादा लाभ नहीं होता. लेकिन दूसरे वर्ष डेढ़ से दो लाख रुपए तक की सालाना कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि पान की प्रमुख प्रजातियों देशी, महोबा, बांग्ला पान की खेती प्रमुख रूप से कर रहे हैं. भोलेंद्र कहते हैं कि पान को बिक्री के लिए वाराणसी, फैजाबाद, लखनऊ व रायबरेली की मंडी में बिक्री के लिए ले जाते हैं. जहां हमको अच्छी कीमत मिल जाती है. वहीं पान की खेती करने के बाद मेरी लाइफ स्टाइल भी बदल गई है. आने वाले वक्त में इस काम को और आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे है.
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सफल किसान भोलेंद्र ने बताया कि रायबरेली जनपद में काफी संख्या में लोग पान की खेती कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें समय- समय पर विभाग द्वारा प्रशिक्षण भी मिल रहा है. साथ ही पान की खेती करने वाले किसानों को कृषि विकास योजना अंतर्गत 50 हजार रुपए की सब्सिडी भी मिल रही है.
आगे की जानकारी देते हुए भोलेंद्र चौरसिया बताते हैं की पान की खेती फरवरी माह से पहले की जाती है. लगभग दस बिस्वा जमीन पर बरेजा तैयार करने में 1 से 1.50 लाख रुपए तक की लागत आती है. आज यूपी सरकार भी किसानों को इस खेती के प्रति प्रोत्साहित कर रही है.
भोलेंद्र के मुताबिक खेत को अच्छी तरह से फल लगाने के लिए तैयार किया जाता है और सुविधाजनक लंबाई के लिए 2 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाई जाती हैं. दो आसन्न क्यारियों के बीच में 0.5 मीटर चौड़ाई 0.5 मीटर गहराई की जल निकासी खाई प्रदान करें. live support यानी अगाथी के बीज लंबी पंक्तियों में लगाएं. क्यारियों के किनारों पर बडें बड़े झाड़ वाले पौधे लगाए जाते हैं, जिनका उपयोग बेलों को सजीव सहारा पर बांधने और पान के पत्ते को पैक करने के लिए किया जाता है.
जब अगाथी के पौधे 4 मीटर ऊंचाई तक पहुंच जाते हैं, तो ऊंचाई बनाए रखने के लिए उन्हें सबसे ऊपर रखा जाता है. फसल को अगाथी पौधों पर 180 सेमी चौड़ाई की क्यारियों में पंक्ति में पौधों के बीच 45 सेमी की दूरी के साथ दो पंक्तियों में लगाया जाता है.