Success Story: पत्नी को चाहिए थी शुद्ध हवा, पति ने पूरे गांव में लगाना शुरू कर दिया पेड़

Success Story: पत्नी को चाहिए थी शुद्ध हवा, पति ने पूरे गांव में लगाना शुरू कर दिया पेड़

पटना के बंगाली बाबा पिछले 13 साल से लगा रहे हैं पेड़. पत्नी को सांस लेने में दिक्कत शुरू हुई, तो शुद्ध ऑक्सीजन के लिए पेड़ लगाना शुरू किया.

Bangali BabaBangali Baba
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • PATNA,
  • Dec 09, 2023,
  • Updated Dec 09, 2023, 11:53 AM IST

मनोरमा देवी को सांस लेने में दिक्कत शुरू हुई, तो इनके पति अशोक सिंह (बंगाली बाबा) गांव की सड़कों के किनारे पेड़ लगाना शुरू कर दिए. अब तो इनके गांव अकौना आने वाली मुख्य मार्ग का नाम भी बंगाली बाबा पथ रख दिया गया है. राजधानी पटना से करीब 20 किलोमीटर दूर पुनपुन स्टेशन से अकौना गांव की दूरी करीब तीन से चार किलोमीटर है. लेकिन इस दूरी के बीच सड़क के दोनों किनारे लगे अधिकांश पेड़ बंगाली बाबा के द्वारा ही लगाए गए हैं. पुनपुन से अकौना गांव आने के दौरान आप की गाड़ी पेड़ों के छाव से ही होकर गुजरेगी. कहते हैं कि पेड़-पौधे लगाने से यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है. लेकिन 70 साल के बंगाली बाबा अपनी पत्नी को स्वस्थ्य रखने के लिए पिछले 13 साल से पेड़ लगा रहे हैं. उनका मानना है कि जब से उन्होंने ने पेड़ लगाना शुरू किया है. उसके बाद से उनकी पत्नी मनोरमा देवी को सांस लेने के दौरान आने वाली दिक्कत पूरी तरह से ठीक हो चुकी है. साथ ही गांव में पेड़ पौधों की संख्या भी काफी बढ़ गई है.

पटना के बंगाली बाबा पिछले 13 साल से लगा रहे हैं पेड़. फोटो -किसान तक

दो दशक पहले पेड़ लगाने के लिए अपने को समर्पित करने वाले बंगाली बाबा आज भी अनवरत नेक कार्य में लगे हुए हैं. मौसम बदलते रहते हैं, लेकिन अशोक सिंह के द्वारा पेड़ लगाने का काम खत्म नहीं हुआ है. वे आज भी सुबह और शाम पेड़ों की देख भाल करते हैं. लोगों को अधिक से अधिक ऑक्सीजन मिले. इसके लिए वे पाकड़, पीपल, बरगद, बेल, कदम व जामुन के पेड़ लगाते हैं. आज इनकी बदौलत पूरा गांव शुद्ध ऑक्सीजन ले रहा है.    

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साधू ने कहा पेड़ लगाओ पत्नी होगी ठीक

बंगाली बाबा से मिलने के लिए किसान तक की टीम भी राजधानी पटना से परसा बाजार होते हुए पुनपुन प्रखंड के अकौना गांव पहुंची. गांव में घूसने से पहले ही पेड़ों को पानी देते हुए बंगाली बाबा मिल गए. उन्होंने कहा कि अभी तबीयत ठीक नहीं है. इसकी वजह से देर से पेड़ों को पानी दे रहा हूं. नहीं तो सुबह सात बजे तक पेड़ों की सिंचाई कर देता हूं. आगे पेड़ लगाने के बारे में बताते हुए कहा कि साल 2011 में उनकी पत्नी मनोरमा देवी की तबीयत खराब हो गई. उन्हे सांस लेने में दिक्कत थी. जिसके बाद एक साधू ने पेड़ लगाने की सलाह दी. साधु की बात मानकर वे पेड़ लगाना शुरू कर दिए. जैसे-जैसे गांव में पेड़ों की संख्या बढ़नी शुरू हुई, वैसे- वैसे उनकी पत्नी की सांस से जुड़ी बीमारी खत्म होती चली गई. आगे बंगाली बाबा कहते हैं कि वह बरसात के समय हर साल करीब पचास से साठ पेड़ लगाते है. पूरे साल उन पेड़ों की देखभाल सुबह- शाम करते हैं. करीब 500 से अधिक पेड़ इनके द्वारा अभी तक लगाया जा चुका है.

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पेड़ लगाने में गांव सहित आसपास के लोग करते हैं मदद

अकौना गांव के बंगाली बाबा कहते हैं कि पेड़ लगाने का काम तो अकेले शुरू किया था, लेकिन आज इस बूढ़े हाथ के साथ मेरा गांव खड़ा है. वहीं पुनपुन बाजार के कई ऐसे लोग हैं जो पेड़ लगवाने के साथ कई तरह से मदद भी करते हैं. वहीं उन लोगों के द्वारा ही बंगाली बाबा के नाम से टी-शर्ट भी दिया गया है, जिससे लोगों को उन्हें पहचाने में दिक्कत नहीं हो सके. वहीं वे बंगाली बाबा के नाम को लेकर बताते है कि आज से 25 साल पहले लोग मुझे अशोक सिंह के नाम से ही जानते थे. लेकिन जब जीविकोपार्जन के लिए बंगाल गया और वहां से आया तो लोगों ने प्यार से बंगाली बाबा कहना शुरू कर दिया. उसके बाद से बंगाली बाबा के नाम से मशहूर हो गया. लेकिन अब बंगाली बाबा के अलावा लोग उन्हें ऑक्सीजन मैन के नाम से भी पुकारते हैं. 

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