इंसान अगर पूरी शिद्दत से मेहनत करता है तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता. बाराबंकी जिले के रामसनेही घाट तहसील के रहने वाले किसान दिलीप वर्मा और कुलदीप वर्मा ने मशरूम की खेती शुरू कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. दरअसल दोनों भाई कभी गांव में दिहाड़ी मजदूरी करते थे, लेकिन आज मशरूम की खेती से उनका सालाना टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये है. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में दिलीप वर्मा ने बताया कि मजदूरी के पैसे को उन्होंने जमा किया और गांव के एक अन्य किसान को देखकर मशरूम की खेती 2008-09 में शुरू कर दी. दिलीप बताते हैं, शुरु में 10 रुपये के पैकेट में दुकानों पर जाकर फुटकर मशरूम बेचा करते थे.
लेकिन वक्त के साथ हमारा दिन भी पलटा. आज लखनऊ से लेकर पूर्वांचल के सभी जिलों की हर मंडी में मेरा मशरूम बिक रहा है. वह बताते हैं, एक समय हमारे पास इंटर की फीस देने के लिए पैसे नहीं थे. अब हमारी बिटिया बड़े स्कूल में पढ़ रही है. उसे डॉक्टर बनाना है.
उन्होंने बताया कि शुरुआत के दिनों में सिर्फ दो बेड बनाकर मशरूम उगाया था.पहली बार करीब 6 हजार रुपये की आय मशरूम बेचकर हुई थी. अब 90 से 95 से अधिक झोपड़ियों में लीज पर जमीन लेकर मशरूम उगा रहे हैं. एक छप्पर का एरिया 22x60 फीट है, जिसमें सूखा भूसा 40-50 टन लगता है. एक छप्पर में 1500 से 2000 किलोग्राम तक उत्पादन होता है. हर दिन 2 से 3 टन मशरूम निकलता है. इस सफर में उन्होंने सिर्फ मशरूम की खेती को ही नहीं बढ़ाया, बल्कि एसी प्लांट भी हाल के दिनों में स्थापित किया है.
दिलीप ने आगे बताया कि नवंबर से मार्च के दौरान मशरूम का दाम करीब 110 रुपये प्रति किलो रहता है. मार्च से अक्तूबर के बीच मशरूम का रेट करीब 125 रुपये प्रति किलो रहता है. यहां मशरूम की खेती छप्पर में भी होती है और गर्मी के मौसम में हाईटेक एसी प्लांट में भी मशरूम उगाया जाता है. उन्होंने बताया कि सालाना करीब 1.5 करोड़ रुपये का मशरूम बेचते हैं और प्रदेश के कई जिलों में इसकी सप्लाई करते हैं. हमारे यहां करीब 50 से 70 लेबर यहां रोज काम करते हैं. कुलदीप कहते हैं, मशरूम में कोई मिलावट नहीं होती. चाहे जितना उत्पादन हो आराम से बिक जाता है.
दिलीप वर्मा ने बताया कि इस काम में मेरे भाई कुलदीप भी साथ देते हैं. वहीं, एक साल यहां मशरूम करते हैं, फिर केला या फिर कोई और दूसरी फसल लेते हैं. अब अपनी 15 एकड़ जमीन ले ली है, जहां किसान क्रेडिट कार्ड से लोन लेकर एसी प्लांट लगाया है. एसी प्लांट में हर कमरे से डेढ़ से दो लाख रुपये मिल जाते हैं. एक साल में पांच बार मशरूम मिल जाता है. दिलीप न सिर्फ मशरूम के काम से सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं बल्कि बेरोजगारों को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार से भी जोड़ रहे हैं.
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