फिल्मी सितारे की एक सलाह से बदली किसान की जिंदगी, मिल रहा 30 फीसदी अधिक मुनाफा

फिल्मी सितारे की एक सलाह से बदली किसान की जिंदगी, मिल रहा 30 फीसदी अधिक मुनाफा

एक किसान की जिंदगी उस समय बदल गई जब एक मशहूर फिल्मी सितारे की एक सलाह ने उनकी खेती के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया. उन्होंने पारंपरिक खेती छोड़कर प्राकृतिक तरीके से खेती को अपनाया, जिससे उनकी उपज की गुणवत्ता बढ़ी और बाजार में बेहतर दाम मिलने लगे.

farmer Avinash Dangifarmer Avinash Dangi
जेपी स‍िंह
  • Noida,
  • Mar 28, 2025,
  • Updated Mar 28, 2025, 3:28 PM IST

खरगोन जिले के बिस्तान नगर परिषद से 16 किलोमीटर दूर रहने वाले किसान अविनाश दांगी की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. 12 साल की उम्र से जैकी  श्रॉफ के फैन थे और बाद में उनकी मुलाकात बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ से हुई. अभिनेता ने ऐसा मंत्र दिया कि खेती में लगे अविनाश की जिंदगी बदल गई. आज से करीब 15 साल पहले जब जैकी श्रॉफ अपनी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, तब अविनाश दांगी ने उनसे मुलाकात की. बातचीत के दौरान अविनाश ने बताया कि वह एक किसान हैं. जैकी श्रॉफ ने उन्हें सलाह दी कि फसलें बच्चों की तरह होती हैं और उन्हें रासायनिक कीटनाशक नहीं खिलाना चाहिए. इस बात का अविनाश पर इतना असर हुआ कि उन्होंने प्राकृतिक खेती करने का फैसला किया.

शुरुआत में आई मुश्किलें

प्राकृतिक खेती की शुरुआत करना आसान नहीं था. अविनाश ने पहले कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क किया और जानकारी जुटाई. जब उन्होंने प्राकृतिक खेती शुरू की, तो गांव के लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और कहा कि एक अभिनेता के कहने पर खेती की परंपरा को कैसे बदला जा सकता है? लेकिन अविनाश ने किसी की नहीं सुनी. अविनाश ने सबसे पहले घर के लिए प्राकृतिक सब्जियां उगाना शुरू किया. जब उन्हें प्राकृतिक सब्जियों का स्वाद पसंद आया, तो उन्होंने और लोगों को भी प्राकृतिक सब्जियां उपलब्ध कराने का फैसला किया. आज उनका प्राकृतिक खेत 25 एकड़ में फैल चुका है जिसमें कई तरह की फसल, फल, संब्जियां उगाते हैं.

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कई फल सब्जियां उगाते हैं दांगी

अविनाश के 2.5 एकड़ के खेत में 14 तरह के फल लगे हैं, जिनमें अमरूद, कटहल, सीताफल, संतरा, मौसंबी, नींबू, जामुन, आम, चीकू, नारियल और आंवला शामिल हैं. इसके अलावा, वह 12 तरह की सब्जियां भी उगाते हैं. इस फल बागवानी वाले खेत में इंटरक्रॉप के रूप में गोभी, टमाटर, बैंगन, भिंडी, मेथी, गाजर, प्याज और लौकी उगाते हैं. 15 एकड़ में दालें और 3 एकड़ में गेहूं, 2 एकड़ में मक्का और सोयाबीन की खेती होती है.

बहुत कम खर्च में प्राकृतिक खेती

अविनाश प्राकृतिक खेती करते हैं, जिसमें जीवामृत और घनामृत जैसे प्राकृतिक उर्वरक गाय के गोबर और गौमूत्र से बनाते हैं. इसमें अलग से कोई खर्च नहीं आता है. उनके पास 50 गायें हैं, जिनके गोबर और गौमूत्र से वह कीटनाशक और प्राकृतिक खाद बनाते हैं.

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उपज का 30 फीसदी अधिक मिलता है दाम

अविनाश बताते हैं कि प्राकृतिक खेती के कई फायदे हैं. इससे उपज की गुणवत्ता बेहतर होती है और उपज की मात्रा भी बढ़ती है. उन्हें अपनी उपज के लिए रासायनिक खेती की तुलना में औसतन 30 फीसदी अधिक दाम मिलता है. वे कहते हैं, हम बाजार पर निर्भर नहीं रहते और सीधे उपभोक्ता को बेचते हैं. अपनी फसलों के लिए जीवामृत और घनामृत जैसी प्राकृतिक खाद बनाने के लिए उनके पास 50 गायें हैं, जिनके गोबर और गौमूत्र से वह कीटनाशक और प्राकृतिक खाद बनाते हैं और इसका प्रयोग खेतों में करते हैं.

उपज बेचते हैं उपभोक्ताओं को

अविनाश हफ्ते में दो दिन खुद सब्जियों का स्टॉल लगाकर बेचते हैं. उनके 100 से ज्यादा नियमित ग्राहक हैं. इसके अलावा दिल्ली, मुंबई सहित कई मेट्रो सिटी से लोग उनके उत्पाद खरीदने के लिए संपर्क करते हैं. अविनाश का मानना है कि प्राकृतिक खेती भविष्य की खेती है. इससे किसानों को अच्छा मुनाफा होगा और लोगों को स्वस्थ भोजन मिलेगा. वह दूसरे किसानों को भी प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं. अविनाश दांगी की कहानी उन किसानों के लिए प्रेरणा है जो रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ना चाहते हैं.

 

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