आपदा कभी-कभी अवसर बन जाती है और अवसर की मदद से बड़े-बड़े काम सध जाते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ लखीसराय जिले के अमित के साथ. लखीसराय जिले के रामपुर निवासी अमित ने MBA की पढ़ाई की और उसमें अच्छा रैंक भी हासिल किया. पढ़ाई खत्म करने के बाद एक बड़ी कॉरपोरेट कंपनी में नौकरी शुरू की. इस बीच कोविड महामारी आई और उन्हें नौकरी छोड़कर घर लौटना पड़ा. अमित घर तो आ गए, लेकिन खाली बैठना उन्हें नागवार गुजर रहा था. ऐसे में अमित ने मशरूम की खेती शुरू की आज बेहतर कमाई कर रहे हैं.
खेती अच्छी और कमाई वाली हो, इसके लिए किसान अमित ने मशरूम उत्पादन की बारीकियां सीखी. कुछ सीखने-पढ़ने के बाद अमित ने महज 50 बैग से घर में मशरूम उत्पादन की शुरुआत की और उसमें सफल भी रहे. इस सफलता ने उनके अंदर एक अलग विश्वास पैदा किया. इस आधार पर उन्होंने मशरूम की खेती बड़े पैमाने पर करने की सोची. अमित को अधिक मुनाफे के लिए बड़े स्तर पर मशरूम की खेती करने की जरूरत थी. लिहाजा चानन प्रखंड की महेशलेटा पंचायत के बिछवे गांव के पास 15,000 स्क्वायर फीट भू-भाग पर शेड डालकर मशरूम की खेती शुरू की.
खेती अच्छी होने लगी और आज की तारीख में अमित अपनी मेहनत से रोजाना लगभग सौ किलो मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. यहां तक कि सौ से अधिक लोगों को मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण भी दे चुके हैं. वहीं कई लोगों को स्थाई और अस्थाई तौर पर रोजगार भी दे रहे हैं.
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हाल ही के दिनों में पटना में आयोजित किसान समागम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अमित को इंग्लिश बोलने पर टोका था. नीतीश ने कहा था, "ई बिहार है...हिंदी में बोलिए". इसके बाद अमित सुर्खियों में आ गए. हालांकि इस वाकये को अमित ने काफी सकारात्मक रूप में लिया और बताते हैं कि इससे हमें काफी सीख मिली जो आगे काम आएगा.
अमित अभी मशरूम की खेती को नया रूप देने में लगे हैं. मछली पालन, बकरी पालन, बत्तख पालन के साथ-साथ इंटर क्रॉपिंग खेती में लगे हुए हैं. अमित अपने कृषि को पर्यटन के रूप में विकसित करना चाहते हैं. खास बात ये है कि अमित की इस मुहिम में उनकी बीसीए कर चुकी पत्नी भी भरपूर साथ दे रही हैं. अमित ने अपने जिम्मे खेती-बाड़ी और मशरूम उत्पादन का काम रखा है तो उनकी पत्नी प्रोसेसिंग का जिम्मा उठा रही हैं. अमित की पत्नी मशरूम से चॉकलेट, बिस्किट, आचार जैसे प्रोडक्ट बना रही हैं और बाजार में बेच रही हैं.(रिपोर्ट/बिनोद कुमार गुप्ता)