छत पर उगाया 3 लाख किलो बिकने वाला आम, ग्रो बैग में ही शुरू कर दी बागवानी

छत पर उगाया 3 लाख किलो बिकने वाला आम, ग्रो बैग में ही शुरू कर दी बागवानी

जोसेफ लोबो की कहानी बताती है कि अगर इच्छा और मेहनत हो, तो सीमित जगह में भी असंभव को संभव किया जा सकता है. मियाजाकी आम जैसे कीमती फल को छत पर उगाना सिर्फ एक खेती नहीं, बल्कि शहरी खेती की एक क्रांति है. उनकी यात्रा हर व्यक्ति को यह सोचने पर मजबूर करती है – “अगर वो कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?”

छत पर लगाया दुनिया में सबसे महंगा बिकने वाला आम!छत पर लगाया दुनिया में सबसे महंगा बिकने वाला आम!
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 15, 2025,
  • Updated May 15, 2025, 5:01 PM IST

कर्नाटक के उडुपी जिले के शंकरपुरा कस्बे में रहने वाले जोसेफ लोबो ने अपनी छत पर मियाजाकी आम उगाकर देशभर में सुर्खियां बटोरी हैं. मियाजाकी आम को दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है, जिसकी कीमत 2.5 लाख से 3 लाख रुपये प्रति किलो तक होती है. जोसेफ पहले एक ड्राइवर थे, लेकिन आज वे भारत के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने इस दुर्लभ जापानी आम को अपनी छत पर सफलतापूर्वक उगाया है.

कैसे शुरू हुई ये अनोखी खेती की यात्रा?

जोसेफ ने साल 2020 में 1200 वर्ग फीट की अपनी छत को एक सुंदर जैविक बगीचे में बदल दिया. शुरुआत में उन्होंने सब्जियां और देशी फल उगाने शुरू किए. फिर उन्हें जापान के महंगे और स्वादिष्ट मियाजाकी आम के बारे में पता चला. उन्होंने इस आम की खेती की तकनीक को समझा और कई बार असफल होने के बावजूद हार नहीं मानी.

मियाजाकी आम की खेती?

मियाजाकी आम को “एग मैंगो” भी कहा जाता है क्योंकि इसका रंग लाल होता है और यह अंडे की तरह दिखाई देता है. इसकी खेती के लिए खास जलवायु और अत्यधिक देखभाल की ज़रूरत होती है. जोसेफ ने जैविक तरीकों से इस आम को उगाने के लिए गोबर, घास, दही और सब्जियों के कचरे से उर्वरक तैयार किया, जिससे उनकी फसल को जरूरी पोषण मिला.

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छत की खेती से कैसे बदली किस्मत?

जोसेफ की छत पर अब 350 से ज्यादा पौधों की किस्में हैं – मियाजाकी आम से लेकर ब्राज़ीलियन चेरी, ताइवान ऑरेंज, सफेद जामुन तक. उन्होंने हाइड्रोपोनिक तकनीक भी अपनाई है जिससे बिना मिट्टी के, पोषक तत्वों से भरपूर पानी में पौधे उगते हैं. इससे पानी की खपत भी कम होती है और उपज भी बेहतर मिलती है.

आर्थिक फायदा और नया अवसर

मियाजाकी आम की ऊंची कीमत के कारण अब जोसेफ आम के पौधे भी बेच रहे हैं, जिनकी कीमत 2500 रुपये तक होती है. देशभर के किसान – मुंबई, पुणे, दिल्ली, गुजरात से – उनसे संपर्क कर रहे हैं ताकि इस आम की खेती के बारे में सीख सकें.

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दूसरों के लिए बने प्रेरणा का स्रोत

जोसेफ सिर्फ खेती नहीं कर रहे, बल्कि दूसरों को भी सिखा रहे हैं. वे स्थानीय लोगों को वर्कशॉप और सोशल मीडिया के माध्यम से छत पर खेती करने के तरीके सिखाते हैं. उनका उद्देश्य है कि हर शहरी व्यक्ति खुद खाना उगाने की दिशा में कदम बढ़ाए और रसायन मुक्त, ताज़ा भोजन को अपनाए.

क्या है भविष्य की योजना? 

जोसेफ चाहते हैं कि उनका बगीचा भारत में शहरी कृषि का मॉडल बने. वे भविष्य में कृषि कॉलेजों और शोध संस्थानों के साथ मिलकर और नई तकनीकों पर काम करना चाहते हैं जिससे छत की खेती को और सरल और प्रभावी बनाया जा सके.

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