ऐसे बहुत कम किसान हैं जो पारंपरिक फसल प्रणाली के साथ-साथ सब्जियों की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन जिन किसानों ने इस प्रयोग को अपनाया है, आज वे अच्छी कमाई कर रहे हैं. ऐसे किसानों की तादाद भले ही कम हो, लेकिन उनकी कमाई अच्छी देखी जा रही है. यही वजह है कि सरकार भी आधुनिक खेती की तरफ किसानों को रुख करने की अपील कर रही है. कुछ इसी तरह का प्रयोग महाराष्ट्र के नांदेड़ के एक किसान ने किया है और वे अच्छी कमाई कर रहे हैं. ये हैं हदगांव तहसील के जांभला गांव के छोटे किसान निरंजन सरकुंडे. उन्होंने महज 30 गुंठा जमीन में बैंगन की खेती कर तीन से चार लाख रुपये की कमाई की है. आइए इस किसान की सफलता की कहानी जानते हैं.
किसान निरंजन के पास 5 एकड़ खेत है. पहले निरंजन सरकुंडे अपने खेत में पारंपरिक फसलें उगा रहे थे. लेकिन उन्हें कोई आमदनी नहीं हो रही थी. कीमतों में गिरावट होने के कारण पड़ोसी गांव ठाकरवाड़ी के किसानों का सब्जियों की खेती की ओर रुझान बढ़ता देखकर निरंजन सरकुंडे ने भी इसमें अपना रुख किया. इन्होंने अपनी पारंपरिक खेती के साथ-साथ सब्जियों की खेती भी शुरू कर दी.
निरंजन सरकुंडे ने कुल पांच एकड़ खेत में से 30 गुंठे में बैंगन की खेती की. ये बैंगन दो बाई दो क्यारियों में लगाया गया था. चूंकि यहां पानी की कमी है, इसलिए पानी बचाने के लिए ड्रिप पाइप का उपयोग करके उचित सिंचाई का इंतजाम किया गया. बैंगन की कटाई दो महीने में की जाती है और उमरखेड़ और भोकर के नजदीकी बाजारों में बेची जाती है.
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फिलहाल बाजार में टमाटर, भिंडी, बैंगन जैसी सब्जियों की अच्छी कीमत मिलती है. यह देखकर किसान निरंजन ने 30 गुंठा क्षेत्र में बैंगन बुआई की. इसकी मांग बढ़ी और अभी तक उत्पादन से निरंजन सरकुंडे को लगभग दो लाख की इनकम हुईं है. किसान निरंजन को इस खेती में महज 30 हजार रुपये का खर्च आया है. सब्जी की खेती सस्ती होने के कारण जांभला गांव के किसान अब निरंजन की तरह सब्जी की खेती ओर रुख कर रहे हैं.
किसान निरंजन सरकुंडे के बैंगन की स्थानीय बाजार में अच्छी मांग है. सरकुंडे ने कहा कि वे सब्जियों को अन्य स्थानों पर भेजने के बजाय स्थानीय बाजार में बेचते हैं. इससे उन्हें ढुलाई का खर्च अधिक नहीं देना पड़ता और बचत अधिक होती है. दूसरी ओर, बाजार में टमाटर इस समय 150 से 180 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. इसलिए जिले में किसानों का रुझान अब टमाटर की खेती की ओर बढ़ा है. नांदेड़ जिले में किसान खरीफ की बुआई के अलावा सब्जी की खेती में भी जुटे हुए हैं. टमाटर के दाम बढ़ने से अब किसानों को उम्मीद है कि टमाटर के उत्पादन से उन्हें अच्छा आर्थिक लाभ मिलेगा.
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